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कोहिनूर हीरा वापस लाने पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

l_Supreme-Court-1467336610नर्इ दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाए जाने के मामले में सुनवाई को तैयार हो गया है और कोर्ट ने इस मामले में बंगाल की एक संस्था की ओर से दायर पीआईएल को इस संबंध में पूर्व में दायर पीआईएल के साथ ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के आदेश दिए हैं।

पश्चिम बंगाल की हैरीटेज बंगाल नाम की संस्था पीआईएल में कहा है कि 1947 में देश आजाद होने के बाद किसी भी सरकार ने काहिनूर हीरे को वापस लाने की कोशिश नहीं की। जब भी इस मुद्दे को उठाया गया तो केंद्र सरकार ने संसद व आरटीआई के तहत दी जानकारी में कोहिनूर के भारतीय संपत्ति होने की बात तो स्वीकार की लेकिन कहा कि कोहिनूर हीरे के युनेस्को कन्वेंशन 1972 के तहत नहीं होने के कारण भारत सरकार इसे वापस नहीं मांग सकती। लेकिन केंद्र सरकार कोहिनूर हीरे के लिए निरंतर ब्रिटिश सरकार के साथ संपर्क में होने की बात भी कहती रही है।

याचिकाकर्ता संस्था का कहना है कि कोहिनूर हीरा भारतीय हैरीटेज संस्कृति का अभिन्न अंग है और प्रत्येक भारतीय को स्वाभीमान के साथ रहने का मूलभूत अधिकार है। लेकिन सरकारों ने अब तक इसके लिए राजनयिक स्तर पर प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं और इस संबंध में याचिकाकर्ता संस्था सहित अन्य लोगों के केंद्र सरकार के साथ किए गए सभी प्रयास विफल हो गए हैं। इस संबंध में आल इंडिया मानवाधिकार व सामाजिक न्याय फ्रंट ने भी पीआईएल दायर कर रखी है।

अब तक कोहिनूर हीरे के संबंध में केंद्र सरकार का कहना रहा है कि ब्रिटिश यह ना तो जबरन ले गए थे और ना ही उन्होंने इसे चुराया था बल्कि पंजाब के शासक परिवार ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या केंद्र सरकार दुनिया के सबसे ज्यादा कीमत वाले इस हीरे पर अपना दावा करना चाहती है या नहीं ? सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया था कि कोहिनूर को वापस लाए जाने के लिए समय समय पर संसद में भी मामला उठाया जाता रहा है।

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