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क्या हम संसद के साथ न्याय कर रहे हैं : वेंकैया नायडू


नयी दिल्ली : सदन का 15वां दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जैसे ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू किया, जिस पर सभापति वेंकैया नायडू नाराज हो गए। 10 राज्यों की 25 राज्यसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है, एक तरफ राज्यसभा के नए सदस्य चुनने के लिए मतदान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सदन में हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू नाराज हो गए और उन्होंने सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। नाराजगी जाहिर करते हुए वेंकैया ने कहा, ‘क्या हम सदन के साथ न्याय कर रहे हैं?
आप अतीत के आधार पर वर्तमान में की जा रही गलतियों को कब तक सही ठहराना चाहते हैं। देश के लोग बदलाव चाहते हैं, क्या यह बदलाव राज्यसभा से नहीं होना चाहिए। नायडू ने कहा, लोग सवाल करते हैं कि जब सदन ही नहीं चल रहा है तो कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए क्यों नहीं स्थगित की जा रही है, लेकिन ऐसा करना मेरे हाथ में नहीं है। उन्होंने कहा मुझे गहरी पीड़ा हो रही हैं, मैं नहीं कह सकता कि अगले सप्ताह सदन में क्या होगा। क्या आप बेहतर स्थिति के लिए कुछ बदलाव करेंगे, अगर आप सदन को चलने ही नहीं देना चाहते तो अलग बात है। सदन में हंगामा थमते न देख नायडू ने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। नायडू ने कहा, ‘पिछले तीन सप्ताह से सदन में हंगामा हो रहा है, लोग हमसे पूछते हैं कि सदन की कार्यवाही एक-दो दिन के लिए क्यों, अनिश्चितकाल तक स्थगित की जानी चाहिए। उन्होंने हंगामे के बीच कहा, लोग कह रहे हैं कि सभापति सदन को स्थगित क्यों कर रहे हैं। मैं उन सबको बताना चाहता हूं कि, मैं नहीं चाहता कि वह इस तरह की लापरवाही और हंगामा अपने सांसदों को करते हुए देंखे।
कांग्रेस के सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले के संबंध में चर्चा की मांग कर रहे थे. सपा, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और राकांपा सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे। अफसोस जाहिर करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा, तीन सप्ताह से लगातार हंगामे की वजह से सदन का न चल पाना निराशाजनक है। देश के लोग भी निराश हो गए हैं। उन्होंने कहा, अपने लंबे राजनीतिक जीवन में मैंने शायद ही कभी ऐसी स्थिति देखी होगी, मुझे यह बात तो समझ आती है कि अपनी मांग पर जोर देने के लिए सदस्य कुछ दिन हंगामा करें लेकिन लगातार तीन सप्ताह तक यह स्थिति बनी रहने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता। विपक्षी कांग्रेस और सपा के सदस्यों ने गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह विपक्षी दलों से बात ही नहीं कर रही है।

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