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गंगा नगरी वाराणसी में पीने के पानी के लिए तरस रहे लोग

वाराणसी : वाराणसी में पहली बार वॉटर अलर्ट जारी किया गया है। गंगा किनारे रहने वाले एक-एक बूंद पानी को तरस गए हैं। शहरवासियों को कहा जा रहा है कि पानी का इस्तेमाल कम से कम करें। गंगा किनारे होने के बाद भी काशी के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं ये किसी अजूबे सा लगता है पर यही सच है। काशीवासियों के लिए वॉटर अलर्ट जारी किया गया है, डर है कि कहीं जल की आपूर्ति ठप्प न हो जाए इसकी वजह है जीवन और जल देने वाली गंगा खुद ही प्यासी है। गंगा घाटों से ही रूठी नजर आ रही है, पानी का स्तर बेहद कम है, यही वजह है जल विभाग ने पानी को संभल कर इस्तेमाल करने की सलाह दी है। बनारस में जल विभाग 311 एमएलडी पानी का प्रोडक्शन करता है जिसमें से 100 एमएलडी गंगा के जरिए होता है। 211 एमएलडी नलकूपों के जरिए किया जाता है। गंगा में पानी नहीं होने से एक पंप बंद करना पड़ा है। दूसरे के भी बंद करने की नौबत आ रही है।
वाराणसी में गंगा का लेबल अब तक सबसे कम 189 फीट तक रहा है लेकिन इस समय ये स्तर घटकर 187 फीट पर आ गया है। गंगा का जल स्तर कम होने से अंडरग्राउंड वाटर लेबल भी नीचे चला गया है। ऐसे में हैंडपंप, ट्यूबवेल और नलकूपों पर संकट गहरा गया है। जल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 19 लाख की आबादी के लिए 276 एमएलडी पानी की सप्लाई दे रहे हैं जो जरूरत का 61.2 प्रतिशत है। जल विभाग के मुताबिक प्रति व्यक्ति को 135 लीटर प्रति दिन पानी की आवश्यकता होती है लेकिन प्रति दिन 92 लीटर पानी की सप्लाई हो पा रही है। कुल मिलाकर 129 एमएलडी पानी की कमी है।
शहर में पानी की व्यवस्था के नाम पर जेएनआरएमयू के तहत करीब 201 करोड़ की लगत से 42 ओवरहेड टैंक, नई पाइप लाइन बिछाई गई है। इसमें 22 ओवरहेड टैंक वरुणापार और 20 शहर में लेकिन इसमें से सिर्फ 10 ही काम कर रहे हैं बाकी शो पीस की तरह खड़े हैं। जलविभाग से निराश लोगों को अब बादलों से ही राहत की उम्मीद है। सभी को उम्मीद है कि बारिश के साथ-पानी की किल्लत भी खत्म हो जाएगी। बीते कुछ वर्षों में सेंट्रल वाटर कमीशन ने जो वाराणसी में आंकड़े एकत्र किए हैं, वे गंगा के वजूद को लेकर बेहद डराने वाले हैं। साल 2015 में गंगा का न्यूनतम जलस्तर 58.67 मीटर था, जबकि 2016 में यह गिरकर 58.52 मीटर रिकॉर्ड किया गया। साल 2017 में भी गिरावट जारी रही और यह 58.27 मीटर रह गया। 24 अप्रैल 2018 को वाराणसी में गंगा का जलस्तर आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और यह 58.1 मीटर रिकॉर्ड हुआ जो 2010 के 57.16 मीटर के बाद न्यूनतम लेवल पर था, लेकिन अब ये रिकॉर्ड भी टूट गया है।

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