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गरीबी हटाने के लिए सब्सिडी का बेहतरीन विकल्प ‘यूबीआई’

गरीबी हटाने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न सब्सिडी को लक्ष्य वर्ग तक सही-सही पहुंचाने में यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना कारगर हो सकती है। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा मंगलवार को संसद में वर्ष 2017-17 के लिए पेश आर्थिक सर्वेक्षण में इसका जिक्र किया गया है।आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यूबीआई एक बेहद शक्तिशाली विचार है और यदि यह समय इसे लागू करने के लिए परिपक्व नहीं है तो इस पर गंभीर चर्चा तो हो ही सकती है। इसमें कहा गया है कि सिर्फ केन्द्र सरकार की ही करीब 950 योजनाएं चलती हैं जिस पर सकल घरेलू उत्पाद की करीब पांच फीसदी राशि खर्च होती है। इसके अलावा मध्यम वर्ग को खाद्य, रसोई गैस और उर्वरक पर सकल घरेलू उत्पाद की तीन फीसदी राशि खर्च होती है। यह राशि लक्ष्य समूह तक पहुंच सके, इसमें यूबीआई सहायक हो सकता है।
इसमें कहा गया है कि हर आंख से आंसू पोछने का महात्मा गांधी का उद्देश्य पूरा करने में यूबीआई सफल हो सकता है। इस योजना में राशि का हस्तांतरण सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में होगा, इसलिए लाल फीताशाही या ब्यूरोक्रेसी से इसे निजात मिल सकती है। इसमें कहा गया है कि यूबीआई के लिए जन धन, आधार और मोबाइल -जैम- में से दो चीजें तो पूरी तरह से कार्यशील हैं। सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि इसे लागू करने से गरीबी में आधा फीसदी की कमी हो सकती है और इसे लागू करने पर सकल घरेलू उत्पाद का महज चार से फीसदी राशि ही लगेगी। 

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