दिल्ली

गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे है DM मंगेश और उनकी पत्नी

नई दिल्ली : डीएम मंगेश घिल्डियाल हमेशा अपने काम को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। डीएम मंगेश स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए लोगों के बीच एक मिसाल बनकर उभरे हैं, तो वहीं अपने पति का साथ देने के लिए डीएम की पत्नी ने भी सहयोग का हाथ आगे बढ़ाया है।

गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे है DM मंगेश और उनकी पत्नीडीएम ने देहरादून रुद्रप्रयाग के स्कूलों का बारीकी से निरीक्षण करके स्कूलों को पूरी तरह से बदलने का प्रयास किया है। कहते हैं घर पर खुद से बड़ों को अच्छा काम करते देख स्वयं के अंदर भी वो विचार पनपने लगते हैं, देश को आगे बढ़ाने के कुछ ऐसे ही विचार पनपने लगे डीएम और उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल के मन में। अपने पति को बच्चों के लिए सारी नाकामकोशिशें करते देख उनकी पत्नी भी पति का साथ देने की बात ठान लीं। 

उषा अपने पति को बच्चों के लिए इस समर्पित भाव को देखकर खुद भी आगे आईं और अपने पति के इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में इस पहल में जुड़ गई। हाल ही में डीएम घिल्डियाल ने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग का निरीक्षण किया था। डीएम ने देखा कि स्कूल में टीचर्स की बेहद कमी है। 

स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है। छात्राओं के दुख को देखते हुए डीएम बेहद परेशान थे घर वापस आकर उन्होंने  अपनी पत्नी से इस बात पर चर्चा की। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने जिले में कार्यभार संभालते ही शिक्षा की बेहतरी के प्रयास शुरू कर दिए थे। वह समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। बच्चों की स्थिति जानने के लिए उनसे सवाल जबाव भी कर रहे हैं। डीएम ना सिर्फ स्कूल का निरीक्षण कर रहे हैं बल्कि वह स्कूल में बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं।

अपने पति को स्कूली छात्रों को पढ़ाने का लगन देख डीएम की पत्नी भी उनका साथ दे रही हैं। पहाड़ से पलायन रुके और यहां के छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए वह पूरा प्रयास कर रहे हैं। उषा ने स्टूडेंट को बिल्कुल मुफ्त में पढ़ाना शुरु कर दिया है। उषा के इस काम की हर तरफ चर्चा हो रही है। दोनों पत्नी पत्नी ने वाकई एक मिसाल कायम किया है।

उषा करीब 2 से ढाई घंटे का समय बच्चों को देती हैं ताकि वह पढ़ लिख कर आगे अफसर बन सके।  उषा घिल्डियाल पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में साइंटिस्ट रह चुकी हैं। इन दिनों वह विवि में नहीं हैं और खाली समय पर बच्चों के भविष्य को सवांरने में जुटी हैं।  डीएम और उनकी पत्नी द्वारा शुरु किए गए इस अनोखी पहल की सराहना चारों तरफ हो रही है।

 

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