बता दें कि गुजरात में नवंबर, 2015 में नगरपालिका के लिए चुनाव हुए थे. मेहसाणा नगरपालिका में कांग्रेस 44 में से 29 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि बीजेपी के खाते में 15 सीटें आई थीं. कांग्रेस तकरीबन एक साल तक मेहसाणा में सत्ता में रही थी. पिछले साल कांग्रेस के 10 पार्षद पाला बदल कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इनमें उनके नेता रायबेन पटेल भी शामिल थे. भाजपा ने उन्हें ही नगरपालिका का अध्यक्ष बना दिया था.
मेहसाणा नगरपालिका का गुजरात की राजनीति में बहुत महत्व है, क्योंकि बीजेपी विधायक और राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में यहां से भारी मतों से जीते थे. इसे नितिन पटेल का गढ़ माना जाता है. उपमुख्यमंत्री ने इस मामले को यह कह कर टाल दिया कि कांग्रेस के पार्षद बीजेपी में कभी शामिल ही नहीं हुए थे.
बीजेपी को ऐसा ही झटका पश्चिम बंगाल में इस सप्ताह लगा. जब तृणमूल कांग्रेस की पूर्व विधायक मंजू बसु नोआपाड़ा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया तो पूर्व विधायक ने उम्मीदवारी का प्रस्ताव यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह अभी भी ममता बनर्जी की सिपाही हैं. कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष की कुछ महीनों पहले मौत होने के कारण नोआपाड़ा सीट खाली हुई थी. तृणमूल ने सुनील सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है.