अद्धयात्म

गुड़ी पड़वा पर बनाए जाते हैं ये खास पकवान, क्या आपको अत है बनाना

गुड़ी पड़वा शब्द में गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा प्रतिपदा को कहा जाता है. गुड़ी पड़वा के दिन हिंदु नववर्ष की शुरुआत होती है. ऐसा माना जाता है कि गुड़ी पड़वा यानि वर्ष प्रतिपदा के दिन ही ब्रम्हा जी ने संसार का निर्माण किया था, इसलिए इस दिन को नव संवत्सर यानि नए साल के रूप में मनाया जाता है. यह मराठी हिंदुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है.
हिन्दू धर्म के सभी लोग अलग-अलग तरह से इसे पर्व के रूप में मनाते हैं. सामान्य तौर पर इस दिन हिन्दू परिवारों में गुड़ी का पूजन कर इसे घर के द्वार पर लगाया जाता है और घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह बंदनवार घर में सुख, समृद्धि और खुशि‍यां लाता है।


गुड़ी पड़वा के दिन क्या क्या बनाया जाता है खास…..

गुड़ी पड़वा के दिन खास तौर से हिन्दू परिवारों में पूरनपोली बनाने की परंपरा है. इसे घी और शक्कर के साथ खाया जाता है. वहीं मराठी परिवारों में इस दिन खास तौर से श्रीखंड बनाया जाता है.
आंध्रप्रदेश में इस दिन प्रत्येक घर में पचड़ी का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है. श्रीखंड में दही की खटास को शकर के संतुलन से कम कर मिठास भर दी जाती है. केसर, जायफल व इलायची का मिश्रण इसका जायका बढ़ाता है, रंग लाता है और महक भी बढ़ाता है. देश भर में इस पर्व को अनेक नाम से जाना जाता है जैसे तेलगू में उगादि, कन्नड़ में युगादि, सिंधी में चेटी चंद और कश्मीरी में नवरेह.

गुड़ी पड़वा के दिन नीम की पत्त‍ियां खाने का भी विधान है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर नीम की कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है. इसे कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है.  इनके अलावा केसरी भात, वेजिटेबल भाकरवड़ी ,मूंग दाल तील बड़े, खरवस, पाल पायसम, आदि चीजें भी बनाई जाती हैं.

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