राज्यराष्ट्रीय

गौरी हत्‍याकांड के बाद सतर्क हुए पैरेंट्स, फेसबुक और व्हाट्सअप पर नजर

facebookलखनऊ: बीते सोमवार को राजधानी में सड़क के किनारे बोरे के अंदर गौरी नाम की लड़की का शव टुकड़ों में मिला। इस मामले में पुलिस कह रही है कि लड़की फेसबुक और व्हाट्सअप पर अपने दोस्‍तों से ज्‍यादा संपर्क में रहती थी। इसी वजह से उसकी हत्‍या की गई है। पुलिस के इस बयान के बाद मृतक लड़की के रिश्‍तेदार अब अपने बच्‍चों के लिए चिंतित दिखाई दे रहे हैं। रिश्‍तेदारों का अब यही सवाल है कि इस वर्चुवल वर्ल्‍ड में अपने बच्‍चों को कैसे सुरक्षित किया जाए? आमजनों की इस चिंता को देखते हुए हमारी टीम ने शहर के प्रतिष्ठित मनोचिकित्सकों से बात की। पूछताछ में उन्‍होंने बताया कि किस तरह से बच्‍चों पर पैनी नजर रख सकते हैं और उन्हें सोशल साइट्स के साइड इफेक्ट से किस तरह से बचा सकते हैं?

मनोचिकित्सकों का मानना है कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसे में हमें शुरुआती दौर से ही चौकन्ना रहना पड़ेगा। मनोचिकित्सकों का यह भी कहना है कि बच्चा नकलची होता है। इस मामले में जब पैरेंट्स गुस्‍सा करते हैं तो बच्‍चा भी गुस्‍सा करेगा। यही नियम बच्‍चा सोशल साइट्स पर भी फॉलो करता है। यदि पैरेंट्स रात भर सोशल साइट पर बिजी रहते हैं तो बच्चे भी वही करेंगे। मनोचिकित्सक डॉ. हरगोविंद सिंह कहते हैं कि जब पैरेंट्स को लगे की बच्चे से संपर्क रखने के लिए मोबाइल की जरूरत है तो बच्चे को बेसिक मोबाइल दिलाए। उन्होंने बताया कि जब बच्चों के हाथ में अपग्रेडेड हैंडसेट उपलब्ध होंगे तो वह उन लोगों से भी जुड़ेंगे जिन्हें वह नहीं जानते हैं। ऐसे में उनके साथ बुरी घटनाएं होने की आशंका बढ़ जाती है।

Related Articles

Back to top button