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गौ-तस्करी रोकने के लिए हाईकोर्ट का बड़ा फरमान

court-shimla-5616a02f3ad1f_exlst (2)दस्तक टाइम्स/एजेंसी. हरियाणा :  हरियाणा में गोतस्करी की रोकथाम की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एसके मित्तल की डिवीजन बेंच ने हरियाणा के अलावा पंजाब और चंडीगढ़ यूटी प्रशासन को ठोस मैकेनिज्म के मुताबिक काम करने का निर्देश दिया है। कहा है कि केवल दुधारू मवेशियों का ही आदान-प्रदान किया जाए। मवेशियों को दूसरे राज्यों में भेजते वक्त इनका रिकार्ड भी रखा जाए।

बेंच ने कहा है कि हालांकि पंजाब और चंडीगढ़ में गोतस्करी की समस्या इतनी अधिक नहीं है, लेकिन हरियाणा में पशु चिकित्सक पशु दूसरे राज्यों में भेजने का परमिट जारी करते हैं। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि क्या इन परमिट की तस्दीक कोई बड़ा अधिकारी भी करता है या नहीं।

या फिर पशुओं को दूसरे राज्यों में भेजने का सरकारी रिकार्ड रखा जाता है या नहीं? यह भी कहा है कि पशु भेजते वक्त उनकी पहचान भी सुनिश्चित होनी जरूरी है, ताकि यह तय हो कि दूसरे राज्यों में जाकर इन मवेशियों की हत्या न हो सके। दुधारू पशुओं का ही आदान-प्रदान सुनिश्चित हो।

बेंच ने केस की अगली सुनवाई 11 नवंबर तय करते हुए गोतस्वकरी रोकने के मामले में दोनों राज्यों और यूटी की ओर से किए गए प्रयासों की जानकारी तलब की है। उधर, याचिकाकर्ता रेणुका चोपड़ा ने सुझाव दिया है कि पशु भेजते वक्त उनकी रंगीन तस्वीरें ली जानी चाहिए। या फिर उन पर टैग लगाया जाए।

मामले की पिछली सुनवाई पर तमाम आरोपों को नकारते हुए राज्य सरकार ने जवाब दिया था कि गायों को यूपी भेजने का परमिट देकर किसी किस्म का उल्लंघन नहीं किया गया है। सरकार ने दावा किया था कि यूपी में गोहत्या पर रोक है।

हरियाणा सरकार ऐसे किसी राज्य में गाय भेजने का परमिट नहीं देती, जहां गोहत्या होती हो। कहा था कि गाय पंजाब और चंडीगढ़ से आती हैं, उनके हरियाणा से गुजरने के लिए परमिट जारी किया जाता है।

परमिट देते वक्त सुनिश्चित किया जाता है कि गाय ऐसे राज्यों में न जाएं जहां बूचड़खाने हों। मामले में पंजाब सरकार ने भी ऐसा ही जवाब पेश किया था।

 

 

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