अद्धयात्म

ग्रहों का विशेष संयोग, बढ़ गया है स्नान का महत्व

Mauni Amavasya 2019: ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से मौनी अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है. यह तिथि चुपचाप मौन रहकर ऋषि मुनियों की तरह आचरण पूर्ण स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही मौनी अमावस्या कहलाती है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पितृ दोष है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है. इसलिए इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है.

ग्रहों का विशेष संयोग, बढ़ गया है स्नान का महत्वइस मौनी अमावस्या पर ग्रहों का क्या विशेष संयोग बना है-

– मौनी अमावस्या के पर्व पर मकर राशि में चार ग्रहों सूर्य, चंद्रमा, बुध, केतु की युति विशेष फलदाई होगी.

– मौनी अमावस्या का अमृत के समान स्नान मकर राशि में सूर्य चंद्रमा बुध केतु के होने से ही होगा.

– शनि और शुक्र दोनों धनु राशि में ही होंगे.

– बृहस्पति वृश्चिक राशि में तथा राहु कर्क राशि में और मंगल मीन राशि में स्थित होकर तीर्थराज प्रयाग में इस मौनी अमावस्या पर आकाशीय अमृत वर्षा करेंगे. इसलिए माघ मास की अमावस्या तिथि माघ के महीने का सबसे बड़ा स्नान का पर्व है.

– इस मौनी अमावस्या पर तीर्थ स्थलों पर स्नान करना विशेष फलदाई हो जाएगा.

मौनी अमावस्या 2019 का शुभ मुहूर्त-

मौनी अमावस्या: 4 फरवरी 2019 सोमवार

मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त प्रारंभ: 3 फरवरी रात 11:52 से.

मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त समाप्त: 5 फरवरी 02:33 बजे.

मौनी अमावस्या पर करें दिव्य प्रयोग, जिससे आपके घर की बीमारी होगी खत्म-

– सुबह के समय सूर्य उदय होने से पहले उठें और अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करें तथा साफ वस्त्र पहनें.

– एक साफ़ आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें और एक तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें.

– लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का 3 माला जाप करें.

– जाप के बाद लोटे के गंगाजल को सारे घर में छिड़क दें और बीमार व्यक्ति को इसका सेवन जरूर कराएं.

– बीमार व्यक्ति के स्वस्थ होने के बाद जरूरतमंद लोगों को पितरों के नाम से भोजन जरूर कराएं.

मौनी अमावस्या पर करें महाउपाय और दान-

– मौनी अमावस्या पर हो सके तो गंगा में स्नान जरूर करें यदि संभव ना हो तो अपने स्नान के जल में एक चम्मच गंगाजल डालकर स्नान करें.

– स्नान के बाद साफ कपड़े पहन कर कच्चे दूध में काला तिल और गंगाजल में मिश्री मिलाकर पीपल के पेड़ की जड़ में जरूर अर्पण करें. पितरों के नाम से किसी गौशाला में गाय को चारा जरूर खिलाएं.

– जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, दूध से बनी मिठाई, सफेद कपड़े, फल, सब्जियां तथा दवाई का दान जरूर करें.

– हो सके तो किसी मंदिर में छोटे-छोटे दो पीपल के पौधे जरूर लगाएं.

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