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चंद्र ग्रहण में भी बांधी जा सकती है राखी, दुष्परिणामों से बचाएगा ये उपाय

सावन मास के अंतिम दिन आता है रक्षा बंधन का पर्व। उसके उपरांत होता है शुभ कार्यों का आरंभ। विद्वानों और ज्योतिषियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष रक्षा बंधन के दिन ही चंद्र ग्रहण है, कुरुक्षेत्र के धार्मिक शोध केंद्र के संचालक प. ऋषभ वत्स ने बताया कि रक्षा बंधन ही सावन मास का अंतिम दिन होता है। धर्मिक वेदों-ग्रंथों के अनुसार सावन मास में विवाह, शादी, मकान की नीवं, मुहूर्त इत्यादि शुभ कार्य नहीं किए जाते। सावन मास के बाद ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

जब घर के पुरुष सावन के समापन पर काम के लिए निकलते हैं तो बहनें भाईयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। सावन के समापन पर पूर्णिमा के दिन ही रक्षा बंधन होता है और इस बार पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण है। वत्स ने बताया कि रक्षा बंधन के लिए 1.45 से लेकर 4.35 तक का समय है। अगर इससे पहले किसी कारणवश जाना पड़ जाए तो चावल दान कर रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है और दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।

रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते और उसमें बसे प्यार को मजबूत करता है।इस बार रक्षा बंधन 7 अगस्त को है। उन्होंने बताया रक्षा बंधन वाले दिन चंद्र ग्रहण रात में 10.52 से शुरू होकर 12.49 तक रहेगा लेकिन चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाएगा। कहा जाता है कि सूतक में राखी बांधना अशुभ रहता है।

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