अन्तर्राष्ट्रीय

चीन की सख्ती: भारत आकर तिब्बत लौटे हजारों श्रद्धालु

बिहार के बोधगया में दलाईलामा के कालचक्र कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर के तिब्बती भारत आ चुके थे, लेकिन चीन ने उन्हें संगठित होने से रोकने के लिए चाल खेली और 3 जनवरी तक उनकी वापसी का फरमान सुनाया। उधर, तिब्बती नागरिकों पर कड़ी निगाह रखी जाने के कारण भारत आए करीब सात हजार तिब्बतियों की वापसी के समाचार हैं।
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तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा बोधगया के कालचक्र कार्यक्रम में प्रवचन देने वाले हैं। आयोजकों का कहना है कि चीन के दबाव के कारण तिब्बत से आए लोगों को वापस जाना पड़ा है। चीन ने न केवल तिब्बत से भारत आने वाले श्रद्धालुओं के वहां रह रहे परिजनों पर दबाव डाला बल्कि 3 जनवरी तक वापस न लौटने पर उनके पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज रद करने की चेतावनी भी जारी की। यही नहीं बल्कि नेपाल के रास्ते भारत जाने वाले श्रद्धालुओं पर भी कड़ी निगरानी की। इस कारण भारत से करीब 7,000 बौद्ध श्रद्धालु तिब्बत वापस लौट गए हैं।

चीन ने इस वजह से की सख्ती

आयोजन समिति के अध्यक्ष कर्मा गेलेक युथोक ने इसकी पुष्टि भी की। इस आयोजन के साथ ही श्रद्धालुओं का तीर्थ पूरा होने वाला था, लेकिन उन्हें इससे पहले ही वापसी करनी पड़ी। बताया गया कि कई तीर्थयात्रियों को धमकी भी मिली थी कि अगर वे नहीं लौटे तो चीन में रहने वाले उनके सगे संबंधी खतरे में पड़े जाएंगे। वर्ष साल 2012 में चीन ने ऐसे हजारों तिब्बती लोगों को हिरासत में ले लिया था, जो बोधगया के कालचक्र से होकर लौटे थे। 

चीन ने इसलिए की सख्ती

चूंकि दलाईलामा ने 1959 में तिब्बत में विद्रोह खड़ा कर दिया था जिसके बाद उन्हें निर्वासित होकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। वह अपनी मातृभूमि के लिए नहीं बल्कि अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। 81 वर्षीय दलाईलामा को चीन की सरकार आज भी अलगाववादी नेता मानती है। चीन को संदेह रहता है कि धार्मिक आंदोलन के बहाने दलाईलामा तिब्बती नागरिकों को भड़काकर तिब्बत को चीन से अलग करने के लिए उकसा सकते हैं।  

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