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चीन को घेरने की कोशिश में जुटा भारत, वियतनाम को ऑफर की स्वदेशी मिसाइल आकाश

भारत और वियतनाम के बीच जुलाई 2007 में एक समझौते के तहत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का फैसला हुआ था। जिसके बाद सितंबर 2016 में पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान इसको विस्तार रुप दिया गया था।

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नई दिल्ली।

चीन के एशिया – पैसेफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे को देखते हुए भारत सतह से हवा में मार करने में माहिर स्वदेशी मिसाइल आकाश को वियतनाम को बेचने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। साथ ही खबरों के मुताबिक, वियतनाम भी इन स्वदेशी आकाश मिसाइल को खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है। चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए दोनों देश तेजी से अपनी द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ा रहे है जिससे की चीन को घेरा जा सके। 

भारत में बनी आकाश मिसाइल 25 किलोमीटर के दायरे में एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्‍टर और ड्रोन को निशाना बनाने सक्षम है। एक अखबार के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इन दिनों वियतनाम के साथ आकाश मिसाइल को लेकर विचार कर रहा है। तो वहीं रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि भारत और वियतनाम के बीच के रिश्ते काफी अच्छे हैं। साथ ही कहा कि दोनों देश अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाने के प्रतिबद्ध हैं। 

गौरतलब हो कि जैश ए मुहम्‍मद के सरगना और पठानकोट हमले का मास्टर माइंड मसूद अजहर को संयुक्‍त राष्‍ट्र के आंतकियों की सूची में शामिल करने से रोकने और एनएसजी में भारत के प्रयासों पर लगातार अडंगा पैदा करने के बाद अब भारत चीन को चारों से घेरने के लिए ये कदम उठाने जा रहा है। जहां वह जापान और वियतनाम से रणनीतिक और सैन्‍य साझेदारी बढ़ा रहा है। तो वहीं वियतनाम को स्वदेशी आकाश मिसाइल ऑफर कर रहा है। गौरतलब हो कि इससे पहले भी भारत वियतनाम को ब्र‍ह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और वरुणास्‍त्र एंटी सबमरिन भी ऑफर कर चुका है। 

भारत और वियतनाम के बीच जुलाई 2007 में एक समझौते के तहत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का फैसला हुआ था। जिसके बाद सितंबर 2016 में पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान इसको विस्तार रुप दिया गया था। जहां पीएम ने इस दौरे में वियतनाम को 500 मिलियन डॉलर के क्रेडिट देने की बात कही थी। 

चीन के बढ़ते दखल के बाद वियतनाम अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ने के लिए रूस से किलो क्‍लास पनडुब्‍बी और सुखोई लड़ाकू विमान भी खरीदने जा रहा है। जिसके बाद अब भारत ने उसे स्वदेशी आकाश मिसाइल ऑफर की है। लेकिन दोनों देश के बीच बढ़ते सैन्य संबंधो से घबराया चीन इस मामले पर अपनी पैनी निगाह गड़ाए बैठा है। 

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