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चुनाव आयोग के ‘रिंग’ में समाजवादी ‘दंगल’, नाम और चिह्न पर आज होगी सुनवाई

सपा में नाम और निशान पर मुलायम और अखिलेश धड़े में जारी जंग पर इसी हफ्ते पूर्ण विराम लग सकता है। दरअसल चुनाव आयोग दोनों धड़ों के दावों पर शुक्रवार को सुनवाई कर एक-दो दिन में अंतिम निर्णय सुना देगा। निर्णय सुनाने से पूर्व अंतिम सुनवाई के दौरान दोनों धड़ों के दावों पर चुनाव आयोग कानूनी और तकनीकी विशेषज्ञों की राय लेगा। इसके बावजूद भी अगर स्थिति नहीं सुलझी तो आयोग समाजवादी पार्टी के नाम और निशान को फ्रीज कर दोनों दलों को नए नाम और निशान का विकल्प देगा।
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वैसे दोनों धड़ों ने सभी विकल्पों को ध्यान में रख कर तैयारी कर ली है। मुलायम धड़े ने जहां राष्ट्रीय लोकदल और इसके चुनाव निशान (हल जोतता किसान) का विकल्प आजमाने की तैयारी की है। वहीं, अखिलेश धड़ा सबसे पहले मोटरसाइकिल पर और इसे साइकिल से मिलता जुलता होने के कारण आयोग द्वारा ठुकराए जाने की स्थिति में बरगद के निशान पर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है।

क्या कर सकता है चुनाव आयोग

कानूनी दृष्टि से देखें तो दोनों ही पक्षों के दावों में कई ऐसे बिंदु हैं जिनका आयोग जवाब तलाश रहा है। मसलन मुलायम धड़े का दावा है कि राष्ट्रीय अधिवेशन अचानक नहीं बुलाया जा सकता। इसके लिए एक महीना पहले नोटिस जारी करना जरूरी है। इसके अलावा इस धड़े ने आयोग में नाम और निशान पर दावा जताते हुए कहा है कि चूंकि रामगोपाल यादव बर्खास्त कर दिए गए थे इसलिए उन्हें राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का अधिकार नहीं है।
दूसरी ओर, अखिलेश धड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन और इसमें लिए गए निर्णय को वैध ठहरा रहा है। इस धड़े ने आयोग में दावा किया है कि रामगोपाल ने अधिवेशन तब बुलाया जब तत्कालीन अध्यक्ष ने उनका निष्कासन वापस ले लिया था। फिर इस धड़े का दावा है कि चूंकि 90 फीसदी विधायक और सांसद अखिलेश धड़े के साथ हैं इसलिए नाम और निशान पर उसका स्वाभाविक दावा बनता है।

क्या कर सकता है चुनाव आयोग

मुलायम के दावे को तभी महत्व मिल सकता है जब चुनाव आयोग यह मान ले कि रामगोपाल की ओर से बुलाया गया अधिवेशन असंवैधानिक था। अगर आयोग ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया तो निर्णय मुलायम धड़े के पक्ष में होगा। इसके उलट अगर आयोग ने इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया तो बाजी अखिलेश धड़े के हाथ लगेगी।

कानूनी विमर्श भी अहम

दोनों का पक्ष सुनने के बाद आयोग इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की राय लेगा। माना जा रहा है कि चूंकि इस बारे में फैसला 17 जनवरी से पहले लेना जरूरी है। ऐसे में आयोग रविवार तक विमर्श की प्रक्रिया पूरी कर लेगा।
 

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