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चुनौतियों से घिरे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दिल्ली दौरे पर

देहरादून. मुख्यमंत्री तीरथ रावत का करीब 3 महीने का वक्त कुंभ और कोरोना में बीता, और आगे भी चुनौतियां कम नहीं है, जिनके लिए दिल्ली दरबार और केंद्र सरकार का सहयोग बेहद ज़रूरी है. उत्तराखंड में सत्ता का रिमोट कंट्रोल दिल्ली से चलता है, और हर मुश्किल का हल दिल्ली से ही निकलता है. ऐसे ही एक के बाद चुनौतियों से घिरे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दिल्ली दौरे पर हैं, 2 दिन के दौरे में मुख्यमंत्री की अलग-अलग केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात तय है, क्योंकि अगले 7 महीने में जो चुनौतियां सामने हैं, उनमें केंद्र का सहयोग जरूरी है.

जिनमें मॉनसून सीजन, कोरोना की तीसरी लहर का डर, पूरे राज्य में वैक्सीनेशन, चारधाम यात्रा, मुख्यमंत्री की सीट का उपचुनाव, गंगोत्री का उपचुनाव, 2022 चुनाव की तैयारी शामिल है. वहीं केंद्र के प्रोजेक्ट पूरे करने के साथ पेंडिंग प्रोजेक्ट्स का अप्रूवल भी आसान नही है. वहीं सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि केंद्र के मंत्रियों का पूरा सहयोग उत्तराखंड को मिलेगा.

जब से उत्तराखंड में सरकार बनी है तब से केंद्र में उत्तराखंड को लेकर दरियादिली दिखाई है. साल 2017 में डबल इंजन की सरकार का दम दिखाने का दावा. प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने किया, पर केंद्र के सहयोग से देवभूमि में कितना काम हुआ? और डबल इंजन का कितना दम दिखा? 2022 में ये बताने के लिए राज्य सरकार और संगठन को केंद्र का आर्शीवाद जरूरी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि राज्य का संगठन मुख्यमंत्री के पीछे खड़ा है और 2022 का चुनाव मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में होगा.

तस्वीर बिल्कुल साफ है कि कुंभ और कोरोना की चुनौती से मुख्यमंत्री तीरथ ने भले ही पार पा लिया हो, पर आगे एक के बाद एक चुनौतियां का पहाड़ खड़े हैं. जिनसे पार पाने के लिए. दिल्ली से मिलने वाली ऑक्सीजन ज़रूरी भी है और मजबूरी भी.

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