ज्ञान भंडार

छलके आंसू…बोलीं- हमने कुछ बताया तो पति का हो सकता है तबादला

police_man_house_raipur_2017113_12322_13_01_2017जम्मू-कश्मीर सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान के तीन वीडियो ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे उन्हें देश की रक्षा के बदले गुणवत्ताहीन खाना मिलता है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर रिपोर्ट तलब की है। जवान सीमा पर तैनात हो या देश के अंदर हमारी-आपकी सुरक्षा के लिए, उन्हें और उनके परिवार को मूलभूत सुविधाएं मिलनी ही चाहिए। ‘नईदुनिया’ ने राजधानी रायपुर में पुलिस जवानों को दी जाने वाली सुविधाओं को खंगाला। आज इनकी सबसे बड़ी जरूरत सुरक्षित छत है, जहां उनके परिजन रोज-रोज, डर-डर कर रहने के बजाय सुकून से रह सकें, सो सकें।

रायपुर। ‘नईदुनिया’ की टीम पुलिस लाइन और चांदनी चौक स्थित आरक्षक, प्रधान आरक्षक, एएसआई को आवंटित आवास में पहुंची। पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे, उनकी पत्नियां और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। जवानों के परिजन खासकर उनकी पत्नियों ने पहले तो बात ही करने से मना कर दिया। बाद में बोलीं- ‘आप अखबार में नाम दे देंगे तो अफसर हमारे पतियों का तबादला कर देंगे, लाइन अटैच कर देंगे। पहले भी ऐसा हो चुका है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने जो पीड़ा बतानी शुरू की तो कइयों के आंसू छलक उठे। कहने लगीं- ‘हम रहना नहीं चाहते, लेकिन मजबूर हैं। अधिकारी सर्वे करने आते हैं और नाम लिखकर चले जाते हैं। बीते 2-3 साल से मकान जर्जर हैं, कब भरभरा कर गिर जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता।’

पुलिस लाइन में करीब 300, चांदनी चौक में करीब 25 परिवार रह रहे हैं। हालांकि पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन और रायपुर पुलिस का दावा है कि आने वाले 2 साल में हर जवान के लिए घर होगा। हालांकि कुछ मकान बन चुके हैं, जो जल्द जवानों को आवंटित कर दिए जाएंगे।

लाइव -1 : पुलिस लाइन दोपहर एक बजे

बोले- बच्चों को छत पर खेलने नहीं देते, क्योंकि प्लास्टर गिरता है यहां अलग-अलग ब्लॉक में 300 से अधिक परिवार रह रहे हैं। एक भी क्वार्टर ऐसा नहीं है, जिसमें दरारें न हों, छत से प्लास्टर गिर न रहा हो, टॉयलेट के दरवाजे टूटे न हों, खिड़कियों से कांच गायब न हो। कई क्वार्टर के छज्जों में तो लेंटर की रॉड दिखाई दे रही हैं। एक आरक्षक की पत्नी ने कहा- बच्चों को छत पर खेलने नहीं देते, क्योंकि प्लास्टर गिरता है। टॉयलेट को 1 से डेढ़ फीट तक ऊंचा करवाया है, क्योंकि बारिश का पानी घर में घुस जाता है। पलंग भी ईटों पर रखे गए हैं। पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। पीने का पानी नलों में नहीं आता। पानी की टंकी टूट गई तो सबने चंदाकर टंकी खरीदी। छत से सीपेज भी है।

लाइव -2 : चांदनी चौक, नेहरू नगर- दोपहर दो बजे

बोले- जाएं तो कहां, तनख्वाह 15 हजार, 5 हजार मकान किराया है जिले के सबसे जर्जर मकान यहीं हैं,

लेकिन मजबूरी में पुलिसवाले और उनके परिजन रहते हैं। एक आरक्षक ने कहा- तनख्वाह 15 हजार है, किराए का मकान 5 हजार में मिलता है। अब आप ही बताएं कहां जाएं? यहां बने तीनों ब्लॉक को अवेंटेंट (छोड़ा गया) करार दिया जा चुका है, रहने वालों को नोटिस भी जारी हो चुका है कि छोड़ दें, लेकिन कोई छोड़ने तैयार नहीं। छज्जे कई बार गिर चुके हैं, सीढ़ियों की रेलिंग तो उखड़ चुकी है। खिड़कियों के पल्ले गायब हैं। पूरे भवन में दरारे हैं।

आजाद चौक में सबसे कम क्वार्टर प्रस्तावित

पुलिस लाइन – 64 क्वार्टर प्रस्तावित। पिलिंथ हो चुकी है।

अमलीहीड – 600 क्वार्टर प्रस्तावित। टेंडर हो चुके हैं।

विधानसभा रोड- 60 क्वार्टर बनकर तैयार। उद्घाटन जल्द।

आजाद चौक- 48 क्वार्टर प्रस्तावित। 15 दिन में हैंडओवर।

जो बन गएगंज- 60 क्वार्टर, आवंटित। कोतवाली- 40 क्वार्टर, आवंटित।

रायपुर पुलिस को आजादी के बाद जितने मकान नहीं मिले, उतने एक साल में मिले हैं। पूरी कोशिश है कि हर किसी को क्वार्टर मिले। जर्जर भवनों को खाली करवाएंगे, वहां रहने वालों को ही प्राथमिकता देंगे। -संजीव शुक्ला, पुलिस अधीक्षक, रायपुर

मैं खुद मानता हूं कि रायपुर पुलिस को काफी मकान चाहिए, कॉर्पोरेशन बना भी रहा है। मैंने आरआई को निर्देश दिए थे कि वे जर्जर क्वार्टर खाली करवाएं, उन्हें डिस्मेंटल करवाकर सूचित करें, ताकि निर्माण शुरू हो सके। जगह मिलेगी तो निर्माण होगा। -डीएम अवस्थी, महानिदेशक, पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन

 

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