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जजों की नियुक्ति को अहं का मुद्दा न बनाए सरकार

नई दिल्ली : जजों की नियुक्ति को लेकर स्थिति यह हो गई है कि केंद्र और सुप्रीम कोर्ट में टकराव की नौबत आ गई है.केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने आ गए हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति को सरकार अहं का मुद्दा न बनाए. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक उदासीनता का जिक्र करते हुए कहा कि यह उदासीनता इस संस्थान को खराब कर रही है. आज हालात ये हैं कि कोर्ट को ताला लगाना पड़ा है.gq-supreme-court_57d963a0c3256

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि इस मुद्दे को केंद्र सरकार अहं का मुद्दा ना बनाए. हम नहीं चाहते कि हालात ऐसे हों कि एक संस्थान दूसरे संस्थान के आमने-सामने हों. न्यायपालिका को बचाने की कोशिश होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा हम बड़े धैर्य से काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार बताए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची पर सरकार से सवाल किया कि 9 महीने से इस सूची क्या निर्णय हुआ बताएं. अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो हमें भेजें, फिर से विचार करेंगे.

ठाकुर ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 में से 77 जज काम कर रहे हैं जबकि छतीसगढ़ में 22 में से 8 जज काम कर रहे हैं. इस पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि हाईकोर्ट के जजों की सूची में कई नाम हैं जो सही नहीं हैं. सरकार ने 88 नाम तय किए, लेकिन सरकार एमओपी तैयार कर रही है. बता दें कि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी.

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