झांसी के कमिश्नर इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट को 48 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे. इस मामले में जिन लोगों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है उसमें जालौन डीएम और एसडीएम के नाम प्रमुखता से सामने आए हैं. इनपर दो अधिकारियों पर ही जज को फोन करने का आरोप लगा है. मीडिया रिपोर्टस में ऐसी खबर छपी कि इन अधिकारियों ने रांची में स्पेशल सीबीआई कोर्ट जज शिवपाल सिंह को कथित रूप से फोन कर लालू यादव की पैरवी की थी. जालौन के डीएम ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसी किसी पैरवी और फोन किए जाने से इनकार किया था.
जालौन डीएम मन्नान अख्तर ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने न तो किसी को फोन किया और न मैंने किसी से ऐसी बात की है. मेरा बिहार से कोई संबंध है ही नहीं. मैं असम का रहने वाला हूं. मुझे नहीं लगता कि इस प्रकार की घटना पर कोई टिप्पणी करूं, क्योंकि जो रिपोर्ट है उसमें भी कुछ लिखा नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसी कोई बात है तो मीडिया को अपने सूत्र सामने रखने चाहिए. इससे ज़्यादा मुझे कुछ नहीं कहना.’ डीएम मन्नान अख्तर ने कहा कि अगर किसी के पास ऐसा कुछ सबूत है तो उसे लेकर आना चाहिए.