टॉप न्यूज़ब्रेकिंगराष्ट्रीय

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने कहा- सज्जाद लोन को CM बनाने का दिल्ली से नहीं था कोई दबाव

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि दिल्ली सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनवाना चाहती थी. अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती. इस बयान पर बवाल मचते ही मलिक ने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है. उन्होंने ऐसी कोई बात ही नहीं की थी.

दो दिन पहले ग्वालियर की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि केंद्र से सज्जाद लोन को सीएम बनाने के लिए कहा गया था. अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती. इसके चलते मैंने सरकार ही भंग कर दी. मेरे इस फैसले पर कुछ लोग चिल्लाएंगे तो चिल्लाएं. मेरा फैसला सही है. इस बयान पर बवाल मचा तो अब उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरफ से कोई दबाव या दखल नहीं था. आज वे दो दिन पहले दिए अपने बयान से पलट गए हैं. आज उन्होंने कहा कि दिल्ली से न तो कोई दबाव था और न ही किसी तरह का दखल.

किसी और संदर्भ में बात कही

मलिक ने कहा कि अगर केंद्र का मुझ पर दबाव होता तो मुझे सज्जाद लोन को सीएम बनाना पड़ता. मुझे तो इशारा तक नहीं किया गया.  केंद्र को इस मामले में मैं 100 में से 110 नंबर दूंगा. आजतक पर ऑडियो सुनाने पर राज्यपाल ने कहा कि वो बात मैंने किसी और संदर्भ में कही थी.

कवींद्र बोले- सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसा कहा

गवर्नर के बयान पर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल पर कोई दबाव नहीं था. वे सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसा बयान दे रहे.

क्या कहा था राज्यपाल ने

सत्यपाल मलिक ने कहा था कि अगर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर होते तो फोन कर सकते थे, किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे. मेरा फोन हमेशा खुला रहता है, रात को दो बजे भी…मैं तो व्हाट्सऐप पर भी मैसेज आने पर समस्याएं हल करने की कोशिश करता हूं.’

मलिक ने कहा था कि महबूबा मुफ्ती ने मुझसे एक हफ्ते पहले कहा था कि उनके विधायकों को धमकाया जा रहा है. मलिक ने कहा कि सज्जाद लोन भी कह रहे थे कि उनके पास भी पर्याप्त विधायक हैं. उनके विधायकों को भी धमकाया जा रहा है. ऐसे में लोन को मौका देकर मैं पक्षपात नहीं करना चाहता था. जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां राज्यपाल शासन लागू है. राज्यपाल शासन की मियाद पूरी होने जा रही थी, जिसके मद्देनजर राज्य में सरकार बनाने को लेकर जोड़-तोड़ चल रही थी. इसी के चलते राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया.

Related Articles

Back to top button