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जहर खाने के बाद बच गए रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण, नहीं लिखवाई रिपोर्ट

नई दिल्ली : पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कर्ता—धर्ता आचार्य बालकृष्ण को जहरीली मिठाई खिलाने के मामले की योग गुरु बाबा रामदेव जांच करवाने का दावा कर रहे हैं तो वहीं आचार्य ने न तो कोई टिप्पणी की और न ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। इस जहरीली मिठाई से आचार्य की जान भी जा सकती थी लेकिन ऋषिकेश के एम्स में समय पर उपचार होने पर वह स्वस्थ हो गए। बाबा रामदेव ने कहा कि पुलिस जांच में सब कुछ सामने आ जाएगा। गौरतलब है कि बाबा रामदेव से जुड़ा यह तीसरा बड़ा मामला है। 2 संगीन मामले जांच के बाद फाइलों में दफन हो चुके हैं। इनमें सबसे बड़ा मामला तो यह है कि बाबा के गुरु महंत शंकरदेव 2007 से ही लापता हैं। इसके अलावा एक मामला और है जो कि राजीव दीक्षित की मौत से जुड़ा है। आचार्य को जहरीली मिठाई खिलाने का मामला कहीं दब न जाए। आचार्य बालकृष्ण को बीते 23 अगस्त को जब सीने में दर्द उठा तो यह खबर मीडिया में आग की तरह फैल गई। उन्हें तुरंत हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ के पास भूमानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगडऩे पर डॉक्टरों ने उन्हें ऋषिकेश के एम्स के लिए रेफर कर दिया। इस बीच बाबा रामदेव ने ट्वीट भी किया कि आचार्य की तबीयत धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। एम्स से डिस्चार्ज होने के बाद 25 अगस्त को आचार्य बालकृष्ण मीडिया के सामने आए और मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। 16 जुलाई 2007 को हरिद्वार के अपने आश्रम से महंत शंकरदेव लापता हो गए थे। जानकारी के मुताबिक वह सुबह की सैर पर निकले और फिर अपने आश्रम में लौटे ही नहीं। आचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार के कनखल थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की और 10 अप्रैल 2012 को फाइनल रिपोर्ट दी जिसके आधार पर ये केस बंद कर दिया गया। महंत शंकरदेव दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और कृपालु बाग आश्रम ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक थे। उन्होंने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अपने शिष्य के तौर पर चुना था।

बालकृष्ण के पिता जय वल्लभ उत्तराखंड के एक आश्रम में सिक्योरिटी गार्ड थे। पूरा नाम बालकृषण सुवेदी है। जब वह 12 साल के थे तो उनका परिवार नेपाल वापस लौट गया था और वह स्वयं हरियाणा आ गए थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें योग और जड़ी-बूटियों में खास दिलचस्पी थी। पतंजलि समर्थक तो उनकी तारीफ में यहां तक कहते हैं कि बालकृष्ण ने युवावस्था में ही संजीवनी बूटी खोज ली थी। फोब्र्स की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक बालकृष्ण 25,600 करोड़ रुपए के मालिक हैं। पतंजलि आर्युवेद की स्थापना 2006 में रामदेव और बालकृष्ण ने की थी। इसके लिए उन्हें गोविंद अग्रवाल ने 1 करोड़ और पप्पुल पिल्ली ने 7 करोड़ दिए थे। शुरूआत में पतंजलि सिर्फ दवाई और डेयरी प्रोडक्ट्स बनाने लगी। उसके बाद यू्.के. में रहने वाले सरवन और सुनीता पोद्दार ने उनकी 50 करोड़ की सहायता की। बैंक ने भी 2007 में 10 करोड़ लोन दिया था जिसके बाद बालकृष्ण कंपनी में 94 फीसदी के मालिक बने और बाकी 6 फीसदी का मालिक पोद्दार परिवार बना। समूह की नई कंपनियों में रामदेव के भाई रामभरत का भी कुछ मालिकाना हक है। एक वक्त में भारत स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बाबा रामदेव के सहयोगी रहे राजीव दीक्षित की मौत के रहस्य से अभी भी पर्दा नहीं उठ पाया है। भिलाई में 8 साल पहले हुई मौत की नए सिरे से जांच के लिए छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस को पी.एम.ओ. से आदेश जारी हो चुके हैं। राजीव दीक्षित की 29-30 नवम्बर 2010 की दरम्यानी रात को भिलाई के बी.एस.आर. अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। उस वक्त दीक्षित की मौत की वजह हृदयाघात बताई गई थी। राजीव के समर्थक दावा करते हैं कि मौत के बाद राजीव की बॉडी नीली पड़ गई थी जिससे उन्हें जहर दिए जाने का शक जाहिर किया गया था। कहते हैं कि कुछ लोगों ने मौत के बाद पोस्टमार्टम की मांग भी की थी जिसे नकार दिया गया था।

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