हमारे धर्मशास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है की सरसो का तेल चढाने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते है. शनिदेव को तेल चढाने शनि की साढ़े साती से भी मुक्ति मिलती है और शनि की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है. पर क्या आपको पता है की आखिर क्यों शनिदेव को तेल चढ़ाने का रिवाज है.आइये जानते है इस बारे में-
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एक कथा के अनुसार रामायण काल में शनिदेव को अपनी ताकत पर बहुत गुरुर हो गया था. पर जब उन्हें हनुमानजी की वीरता के बारे में पता चला तो उनके अहम् को बहुत ठेस पहुंची की उनसे ज़्यादा बलशाली भी कोई हो सकता है. बस फिर क्या था शनिदेव बजरंग बली से युद्ध करने के लिए चल पड़े. हनुमानजी एक निर्जन तथा शांत जगह पर बैठ कर श्रीराम की भक्ति में लीन थे, तभी वहां शनिदेव आ गए और उन्होंने बजरंग बली को युद्ध के ललकारा.
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हनुमानजी ने युद्ध के लिए कई बार मना किया पर शनि नहीं माने और युद्ध के लिए हठ करते रहे. अंत में हनुमानजी भी युद्ध के लिए तैयार हो गए. दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ. हनुमानजी ने शनि को बुरी तरह परास्त कर दिया. हारने के कारण शनिदेव का घमंड चूर चूर हो गया तथा युद्ध में लगे हुए प्रहारों से शनिदेव के पूरे शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी.
शनिदेव के दर्द को दूर करने के लिए हनुमानजी ने उन्हें सरसो का तेल दिया. इस तेल को लगाते ही शनिदेव का सारा दर्द दूर हो गया. तभी से शनिदेव को तेल अर्पित करने की परंपरा प्रारंभ हुई.