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जानिए, पुराने मोबाइल और कचरे से क्यों बनेंगे टोक्यो ओलंपिक के 5 हजार पदक

टोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक में पुराने फोन और इ-कचरे से मेडल तैयार किए जाएंगे।

टोक्यो। जापान के टोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में मेडल्स पुराने फोन और इ-वेस्ट से तैयार किए जाएंगे। इन मेडल्स के लिए जापान के नागरिकों से पुराने फोन जमा करने को कहा जाएगा।

ओलंपिक के आयोजकों को उम्मीद है कि वे मेडल्स के लिए आठ टन धातु जमा कर लेंगे। इनसे दो टन के स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक तैयार किए जाएंगे। फोन के अलावा दूसरी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जमा की जा रही हैं। इनसे कम से कम 5 हजार मेडल्स बनाए जाएंगे।

इस अभियान का मकसद कम खर्च में ओलंपिक का आयोजन करना और पर्यावरण को बचाना है। टोक्यो 2020 स्पोर्ट्स डायरेक्टर कोजी मुरोफुशी ने कहा है कि जापान के लोगों के सहयोग से मेडल्स तैयार करने की योजना वाकई मजेदार है।

उन्होंने कहा कि धरती पर हर धातु सीमित मात्रा में मौजूद है, इसलिए पुरानी चीजों से मेडल बनाने से पर्यावरण को भी निश्चित तौर पर फायदा पहुंचेगा। इसके लिए अप्रैल से ही लोगों के दफ्तरों के बाहर कलेक्शन बॉक्स रख दिए जाएंगे और जरूरी मात्रा में धातु के जमा होने तक वहीं पड़े रहेंगे।

जापान की ओलंपिक आयोजन समिति के सदस्य ने सरकारी अधिकारियों और कंपनियों के समक्ष यह विचार 2016 में रखा था। आमतौर पर ओलंपिक का आयोजन करने वाले शहरों को खानों से निकलने वाली धातु उपलब्ध कराई जाती है। चूंकि, जापान के पास धातु की खानों की कमी है, इसलिए यह तरीका निकाला गया है।

आपको बता दें कि स्मार्टफोन और टैबलेट में ऐसी धातु होती हैं जो धरती पर कम मात्रा में पाई जाती हैं। इन धातुओं में प्लेटिनम, पैलाडियम, सोना, चांदी, लिथियम, कोबाल्ट और निकेल है। फ्रिज, पुरानी कार और एसी में भी आयरन, कॉपर, लेड और जिंक जैसी धातुएं होती हैं। कई कंपनियां इस कचरे को खरीद कर अलग-अलग करने का काम करती हैं। यह काम चीन, भारत और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देशों में होता है।

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