जानें क्या मुश्किलें आईं सैफुल्ला को पकड़ने में, पकड़ना आसान नहीं था
हाल के दिनों में यह पहला मौका था जब स्पेशल ट्रेनिंग हासिल करने वाले एटीएस के जांबाज कमांडो को अपने जौहर दिखाने का मौका मिला। 11 घंटे चले ऑपरेशन में एटीएस के लगभग एक दर्जन कमांडो सीधे संदिग्ध आतंकी से मोर्चा लिए हुए थे।
जानें, ऑपरेशन की कहानी, कमांडो की जुबानी…
एक कमांडो ने बताया कि शुरुआत में लगा कि ऑपरेशन बेहद आसान होगा लेकिन संदिग्ध आतंकी सरेंडर करने के मूड में नहीं था। वह अंदर से ही फायर करने लगा तो हमलोगों को मोर्चा लेना पड़ा। शुरुआत में ट्रेस कर पाना मुश्किल हो रहा था कि वह किस तरह छिपा है। आतंकियों की संख्या कितनी है, इस पर भी संशय था। आईजी साहब का निर्देश था कि संदिग्ध आतंकी को जिंदा पकड़ना है। इसलिए पूरी सावधानी से हमलोग ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे।
एक कमांडो ने बताया कि संदिग्ध आतंकी बाहर आए, इसके लिए दीवार में छेद किया गया और वहां से मिर्ची बम डाला गया। मिर्ची बम का असर आतंकी पर नहीं हुआ और वह उसी होल से कमांडो पर फायरिंग करने लगा। आतंकी की ओर से किया गया एक फायर तो एटीएस के एक कमांडो के बिल्कुल पास से होकर गुजरा, लेकिन एटीएस के चुस्त कमांडो ने पहले से ही इसका अंदाजा लगा लिया था। आखिरकार जब सरेंडर करने की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तो कमांडो ने खुद का बचाव करते हुए देर रात उसे ढेर कर दिया।