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जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा दिग्गज मुक्केबाज

कभी भारतीय बॉक्सिंग में चैंपियन रहे 69 वर्षीय कौर सिंह को आज 2 लाख रुपये का मेडिकल लोन चुकाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। कौर ने यह लोन एक प्राइवेट फाइनैंसियर से अपने दिल संबंधी बीमारी के इलाज के लिए लिया था। 1980 में नई दिल्ली में आयोजित हुए एक प्रदर्शनी मैच में कौर ही ऐसे एकमात्र बॉक्सर थे, जो दुनिया के दिग्गज बॉक्सर मोहम्मद अली के खिलाफ लड़ने के लिए रिंग में उतरे थे। इस मुकाबले में कौर ने मोहम्मद अली के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी। इसके बाद 1982 में हुए एशियाई खेलों में कौर ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा दिग्गज मुक्केबाज

1984 में लिया था संन्यास

1982 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड और फिर 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1984 में लॉस एंजिल्स में हुए ओलिंपिक के बाद कौर ने बॉक्सिंग से संन्यास ले लिया। इस ओलिंपिक में उन्होंने लगातार दो बॉउट अपने नाम करने का कारनामा किया था। आर्मी से रिटायर होने के बाद कौर पंजाब के संगरूर जिले में स्थित अपने गांव खनाल खुर्द लौट आए। उन्होंने सन 1971 में बतौर हवलदार सेना जॉइन की थी, तब वह 23 साल के थे। 1988 में सेना ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग में दिखाई गई बहादुरी के लिए दिया गया।

अपने करियर में चार बार नैशनल बॉक्सिंग चैंपियन और इंटरनैशनल प्रतिस्पर्धाओं में 6 गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके अपने दौर के इस चैंपियन मुक्केबाज को आज इस बात का मलाल है कि सरकार ने उन्हें तब साइडलाइन कर दिया, जब उन्हें सरकारी मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है। करीब दो साल पहले उनके हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज हो गया, जिसके इलाज के लिए उन्हें स्टेंट की जरूरत थी। इस दौरान आर्मी ने उन्हें इलाज के लिए 3 लाख रुपये की मदद दी थी। इसके अलावा उन्हें अपने इलाज के लिए 2 लाख रुपये की और जरूरत थी, जिसके लिए उन्होंने किसी प्राइवेट फाइनैंसियर से 2 लाख रुपये का लोन लिया था लेकिन आगे के इलाज के लिए मुझे एक बार फिर 2 लाख का कर्ज लेना पड़ा।

एशियाई खेलों में जीता स्वर्ण

जब 1982 में कौर सिंह ने एशियाड खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था, तब पंजाब सरकार ने उन्हें 1 लाख रुपये का नकद इनाम देने की घोषणा की थी। हालांकि आज तक उन्हें यह रकम नहीं मिल पाई है। सरकारें बदल गईं और फिर कौर सिंह की आवाज नौकरशाही के चक्करों में ही कहीं फंस कर दब गई। कौर सिंह कहते हैं कि मुझसे 1 लाख देने का वादा किया गया था, जिसकी कीमत आज करीब 20 लाख रुपये होती।’ कौर इन दिनों एक गंभीर किस्म की हृदय संबंधी बीमारी से जूझ रहे हैं। इसके इलाज के लिए उन्हें प्रतिमाह 8 हजार रुपये दवाओं पर खर्च करने पड़ते हैं। कौर कहते हैं, ‘यह सिर्फ दवाओं का खर्च है। इसके अलावा डॉक्टर की फीस और अस्पताल जाने का खर्च अलग है।’ 

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