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जीएसटी बिल पर क्यों कांग्रेस का समर्थन चाहती है नरेंद्र मोदी सरकार…

arun-jaitley_650x400_71468385091नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, और सरकार कांग्रेस को मनाने के लिए पूरे जोर-शोर से जुट गई है, क्योंकि गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी को पारित कराने की राह में वही सबसे बड़ी बाधा है… संसद का सत्र 12 अगस्त को खत्म हो जाएगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को अपनी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है…

बिल को लेकर किसी समझौते पर पहुंचने के उद्देश्य से गुरुवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली के कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा से मुलाकात करने की संभावना है… दरअसल, जेटली की यह मुलाकात तब तय हुई, जब संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं आज़ाद और शर्मा तक पहुंच बनाई… गौरतलब है कि हालिया राज्यसभा चुनावों में कुछ जीत मिलने के बावजूद सरकार उच्च सदन में अल्पमत में है, और कांग्रेस अब भी सदन में सबसे बड़ा दल है…

फिलहाल ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे की बात को समझने और शायद मान लेने के लिए भी तैयार हो गए हैं…

जीएसटी के आने से ढेरों अलग-अलग केंद्रीय और राज्यीय करों के स्थान पर देशभर में एक ही कर लागू हो जाएगा, और भारत एक अरब से भी ज़्यादा उपभोक्ताओं वाला ‘एकीकृत बाज़ार’ बन जाएगा…

जीएसटी को प्रभावी बनाने के लिए लाया गया संवैधानिक संशोधन प्रस्ताव निचले संदन लोकसभा में पारित हो चुका है, जहां सरकार के पास शानदार बहुमत मौजूद है, लेकिन यह राज्यसभा में अटका हुआ है, जहां कांग्रेस व वामदल जैसे अन्य कुछ दल इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं…

कांग्रेस चाहती है कि सरकार जीएसटी की दर की अधिकतम सीमा 20 प्रतिशत तय कर दे, और इस दर को संविधान संशोधन में शामिल कर दे, जबकि सरकार का कहना है कि ऐसा करने पर दरों में बदलाव करने के लिए हर बार संविधान में संशोधन करना पड़ेगा… लेकिन अब कांग्रेस ने कर की दर को जीएसटी से संबंधित सहायक दस्तावेज़ों में दर्ज करवाने पर सहमत होने के संकेत दिए हैं…

कांग्रेस इसके अलावा सरकार द्वारा प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को भी हटवाना चाहती है, जो वस्तुओं को राज्यों की सीमा से आर-पार लाने या ले जाने पर देना होगा… इस प्रस्ताव का उद्देश्य था कि उन राज्यों को भी मुआवज़ा मिल सके, जो उत्पादन पर ज़्यादा ध्यान देते हैं…

कांग्रेस की तीसरी बड़ी मांग है कि वित्तमंत्री उस परिषद के अधिकारों को बढ़ा दें, जो राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे के विवादों को सुलझाने के लिए बनाई जाएगी…

सरकार पहले ही कांग्रेस द्वारा सुझाए गए इन बदलावों पर सहमत हो जाने के बारे में बता चुकी है…

हालांकि तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल और जनता दल यूनाइटेड जैसे क्षेत्रीय दल इस बिल को समर्थन देने के लिए सहमत हो चुके हैं, और उनके समर्थन के बाद सरकार को आवश्यक दो-तिहाई बहुमत पा लेना संभवतः मुश्किल नहीं होगा, लेकिन उन्हें कांग्रेस का समर्थन इसलिए ज़रूरी है, ताकि वह संसद का कार्यवाही को चलने दे, और बिल पेश किया जा सके… सूत्रों का कहना है कि वैसे भी सरकार की इच्छा इस महत्वपूर्ण बिल को सर्वसम्मति से लाए गए प्रस्ताव के रूप में रखने की है…

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