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जीएसटी से यूपी की विकास दर में होगी दो प्रतिशत की वृद्धि: उप मुख्यमंत्री

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि जीएसटी लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को होगा। जीएसटी से यूपी की विकास दर में दो प्रतिशत की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी व्यापारी का उत्पीड़न न होने पाये तथा व्यापारियों का बीमा पहले की तरह जारी रहेगा। इसके साथ ही व्यापारियों से जीएसटी लागू करने में सहयोग प्रदान करने की अपील की। उप मुख्यमंत्री बुधवार को यहां सचिवालय में व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ जीएसटी लागू किए जाने के संबंध में विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे देश की एक ही कर प्रणाली जीएसटी को लागू करने का एक उद्देश्य भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी है। सभी कार्य ऑनलाइन होगा। अधिकारियों की विवेकाधीन शक्तियों में कमी की गयी है ताकि व्यापारियों का कोई अधिकारी उत्पीड़न न कर सके। उन्होंने व्यापारियों को आश्वस्त किया कि सभी दण्डात्मक प्राविधानों एवं उनकी आशंकाओं को आगामी अगस्त माह में भारत सरकार में होने वाली बैठक में रखा जायेगा।
जीएसटी के तहत अर्थदण्ड एवं अभियोजन चलाये जाने के संबंध में उप मुख्यमंत्री ने व्यापारी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार यह  सुनिश्चित करेगी कि प्रदेश में कोई भी अधिकारी उनका उत्पीड़न नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अधिनियम का उल्लंघन व कर चोरी किए जाने पर अर्थदण्ड का प्राविधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि दो करोड़ रुपये तक करापवंचन करने पर किसी भी व्यापारी की गिरफ्तारी नहीं होगी। उन्हांेने कहा कि जानबूझकर फर्जी कार्य कर 2 करोड़ की टैक्स चोरी में गिरफ्तारी का  प्राविधान  रखा  गया है। इसके अलावा दो करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक के करापवंचन के मामले को जमानती तथा असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि पांच करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी के मामले का ही गैर-जमानती तथा संज्ञेय अपराध बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के लोगों की संख्या केवल एक प्रतिशत है तथा 99 प्रतिशत व्यापारी इसकी परिधि में नहीं आते हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने छोटे व्यापारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा है तथा 20 लाख रुपये तक के टर्न ओवर पर कोई टैक्स का प्राविधान नहीं रखा है। इसके अलावा 20 लाख से कम टर्न ओवर के व्यापारियों को बिना पंजीयन के प्रान्त के बाहर से माल लाने की सुविधा प्रदान की है। इसके अलावा जीएसटी के तहत पंजीयन की सीमा 20 लाख रुपये निर्धारित की है, जबकि वर्तमान में यह व्यवस्था 05 लाख के वार्षिक टर्न ओवर वाले व्यापारियों पर लागू है। व्यापारियों के समक्ष किए गये प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया कि जीएसटी लागू होने से उत्पादन लागत में कमी आने के कारण कपड़े के दामों में वृद्धि की आशंका निर्मूल है। इसी तरह बिल्डर्स, लोहा व इस्पात, सीमेन्ट मोटर एवं दुपहिया वाहन, दवाएं, कोयला, बिस्कुट, रेडीमेड वस्त्रों आदि के मूल्यों में कमी आयेगी। इस दौरान व्यापारी संगठनों ने जीएसटी को सरल पारदर्शी व व्यवाहारिक बनाये जाने, सजा के प्रावधान को समाप्त करने, सभी व्यापारियों पर ई-वे-बिल लागू न करने तथा मैनुअल व्यवस्था चालू रखने, महीने में तीन रिटर्न दाखिल करने के स्थान पर त्रैमासिक रिटर्न की व्यवस्था जीएसटी जमा न करने पर विक्रेता को जिम्मेदार मानना तथा मण्डी शुल्क को जीएसटी में शामिल करने की मांग रखी गयी।

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