जीवनशैली

जीवनषैली में बदलाव के कारण स्तन कैंसर की आशंका

लखनऊ : वर्तमान समय में जीवन शैली में आ रहे बदलाव के कारण, अधिक से अधिक युवा महिलाओं में स्तन कैंसर होने की आशंका है। महिलाओं में सबसे घातक कैंसर में से एक, स्तन कैंसर से 40 वर्ष से कम आयु की 7 प्रतिषत से अधिक महिलाएं पीड़ित हो रही हैं। महिलाएं आम तौर पर इसके निदान में देरी करती हैं। कई युवा महिलाएं स्तन में गांठ या निप्पल से असामान्य स्राव जैसे चेतावनी संकेतों को अनदेखा करती हैं। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के गाइनेकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. कनिका बत्रा मोदी ने बताया कि कई महिलाएं यह भी मानती हैं कि इस तरह की जटिलताएं होने के लिए उनकी उम्र अभी कम है या मामूली अल्सर को हानिरहित मानती हैं। युवा महिलाओं में, स्तन कैंसर का निदान इसके बाद के चरणों में किया जाता है और यह अधिक आक्रामक पाया जाता है। युवा महिलाओं में मृत्यु दर भी अधिक होती है और मेटास्टैटिक पुनरावृत्ति का खतरा अधिक होता है। डॉ. कनिका बत्रा मोदी के मुताबिक जीन में आनुवांषिक उत्परिवर्तन कैंसरयुक्त जीन के पारित होने की संभावना लगभग 10 प्रतिषत बढ़ा देता है। फिर भी 90 प्रतिषत मामले अप्रत्याषित होते हैं। किसी महिला में 40 वर्ष की आयु सीमा के भीतर स्तन कैंसर का पता चलने पर उसमें ओवरी और स्तन कैंसर दोनों के लिए जोखिम कारक दोगुना हो जाता है। कैंसर के होने का खतरा तब भी बढ़ जाता है जब 60 साल से कम उम्र की महिलाओं में ट्रिपल निगेटिव स्तन कैंसर होता है। यह एक प्रकार का स्तन कैंसर है जिसमें एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स और ह्युमन एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर का अभाव होता है। हालांकि सेल फोन और इसके टॉवर से गैर-आयनीकरण विकिरणों के कारण कैंसर होने का कोई प्रमाणित प्रमाण नहीं है, लेकिन कई कैंसर सोसायटी ने इसके लंबे समय तक उपयोग पर चिंता जताई है। सेल फोन एक प्रकार की ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं जिसे रेडियोफ्रीक्वेंसी तरंगों (आरएफ) के रूप में जाना जाता है, जो किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष क्षति नहीं पहुंचाती है, लेकिन इसे मनुष्यों के लिए एक संभावित कैंसर कारक माना जाता है, खासकर मस्तिष्क ट्यूमर के लिए। उन्होंने कहा इस बारे में लोगों को बहुत कम पता है कि पुरुषों को भी स्तन कैंसर होने की आशंका होती है। पुरुषों में स्तन ऊतक महिलाओं की तुलना में छोटा होता है, लेकिन वयस्क पुरुष स्तन में ऊतक की प्रकृति उसी तरह की होती है जैसी यौवन से पहले लड़की के स्तन की होती है। पुरुष स्तन कैंसर में विवाद का कारण यह है कि पुरुशों में इसके होने का कम संदेह होने के कारण उनमें महिलाओं की तुलना में बाद के चरण में इसका निदान किया जाता है। इसके अलावा, उनके स्तन में ऊतक की मात्रा कम होने के कारण इन कैंसर का जल्द पता लगाना मुश्किल हो जाता है और वे आसपास के ऊतकों में भी जल्दी फैल जाते हैं। इसके अलावा हाल के कई शोधों से यह भी पता चला है कि किसी पुरुश की मां के स्तन कैंसर से पीड़ित होने पर उस पुरुष के प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा शरीर में एक क्रोनिक इंफ्लामेटरी अवस्था की शुरुआत करता है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कैंसर का कारण बन सकता है। स्तन, एंडोमेट्रियल, एसोफैगल, पित्ताशय, आंत्र, अग्नाशय, यकृत, गुर्दे आदि जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन इनके होने के सटीक कारण अस्पष्ट हैं। डॉ. कनिका ने कहा प्रोमिसक्युइटी महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर के विकास के लिए महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। गर्भाषय कैंसर के 95 प्रतिशत से अधिक मामलों में यह मुख्य रूप से, ह्युमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के ऑन्कोजेनिक स्ट्रेन के कारण होता है। हालांकि, एचपीवी को हानिकारक माना जाता है लेकिन सर्वाइकल कैंसर होने के लिए यह पर्याप्त कारण नहीं है। अधिकांश महिलाएं एंटीबॉडी विकसित करके षरीर से वायरस को निकालने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र विकसित कर लेती हैं। लेकिन कुछ प्रभावित लोगों में, एचपीवी जीनोम के भीतर होता है और प्रभावित कोशिकाओं का म्यूटाजेनिक परिवर्तन कर देता है। इसलिए इम यह नहीं कह सकते कि प्रोमिसक्युइटी सर्वाइकल कैंसर पैदा करता है, लेकिन एचपीवी संक्रमण को बढ़ावा देता है जिसका सर्वाइकल कैंसर से सीधा संबंध है।

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