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जुनून की जंग में 53 साल की संगीता ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

जुनून के आगे उम्र ज्यादा मायने नहीं रखती… मन में कुछ करने की चाह हो तो कोई मुश्किल रोड़ा नहीं बन सकती। कुछ ऐसा ही कारनामा जम्मू में जन्मी संगीता सिंधी बहल (53) ने कर दिखाया है।जुनून की जंग में 53 साल की संगीता ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

29035 फीट ऊंची माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर संगीता ने रियासत का नाम रोशन किया है। माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली संगीता देश की उम्रदराज एवरेस्टर हैं। मौजूदा समय में गुरुग्राम हरियाणा निवासी संगीता का अगला लक्ष्य 7वें समिट माउंट मिकिनले अलास्का पर तिरंगा फहराना है। पिछले साल माउंट एवरेस्ट के लक्ष्य को पाने के दौरान संगीता को गंभीर चोट लग गई थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने जज्बे को कायम रखा और 19 मई 2018 को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में सफलता हासिल की। 

47 की उम्र में पर्वतारोही का सफर शुरू करने वाली संगीता ने बताया कि जब वह माउंट एवरेस्ट के टाप पर पहुंची तो उन्हें महसूस हुआ कि दुनिया बहुत सुंदर है। इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस कठिन लक्ष्य को पाने के लिए जुनून के साथ बेहतर प्रशिक्षण होना जरूरी है। मन में आई कैन डू इट, का जज्बा हो तो मंजिल खुद करीब आ जाती है। उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि वह अपनी जीवन शैली को बदलकर कुछ नया करने की कोशिश करें। माउंट एवरेस्ट पर पहुंचकर 53 साल की उम्र में और मजबूत हुई हैं, जबकि यह ऊर्जा मुझमें 20 साल की उम्र में भी नहीं थी। 

असफलता आगे बढ़ने का मौका देती है
संगीता ने प्रेस वार्ता में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि असफलता आपको आगे बढ़ने के लिए मौके देती है। उन मौकों को हासिल करने के लिए नई ऊर्जा का विकास होता है। संगीता ने कहा कि अगर उन्हें दोबारा माउंट एवरेस्ट पर जाने का मौका मिला तो वे जरूर जाएंगी। संगीता कई कंपनियों की सीईओ, बोर्ड सदस्य आदि होने के साथ-साथ सफल पर्वतारोही हैं। उनके पति एक बड़े कारोबारी हैं और बेटा देहरादून स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। प्रेस वार्ता में अंबेडकर गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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