ज्यादा समय तक डायपर पहनाएं रखने से बिगड़ जाता है बच्चों में हार्मोन संतुलन
बच्चों के लिए डायपर इस्तेमाल करने से पेरेंट्स की आधी समस्या खत्म हो गई है। घर से बाहर जाते समय पेरेंट्स शिशु को डायपर पहना देते है, ताकि उन्हें बार-बार चेंज न करना पड़ें। मगर आजकल कुछ लोग पूरा दिन शिशु को डायपर पहनाकर रखते हैं, जोकि उनकी सेहत के लिए सही नहीं है।
1. डायपर पहनाने के नुकसान
-लीकप्रूफ डायपर
पेरेंट्स रात के समय शिशु को लीकप्रूफ डायपर इसलिए पहनाते हैं, ताकि उनकी नींद में खलल न पड़ें। जबकि घर के बने सूती नैपकिंस में ये सुविधा नहीं होती। माता-पिता का ऐसा सोचना गलत नहीं है लेकिन बच्चे को डायपर पहनाते समय आपको थोड़ी सतर्कता बरतनी चाहिए, ताकि उनकी सेहत पर कोई असर न पड़े।
-हो सकता है हॉर्मोनल असंतुलन
प्लास्टिक की शीट के अलावा डायपर में अन्य कई टॉक्सिन्स जैसे आर्टिफिशियल कलर, खुशबू के लिए प्रयुक्त केमिकल्स, सोडियम पॉलीक्रायलेट, डाइऑक्सीन्स तथा फैथलेटस होते हैं। मगर यह टॉक्सिन्स बच्चे में हॉर्मोनल असंतुलन और कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा इससे बच्चे को रैशेज की समस्या भी हो सकती है।
-इम्यूनिटी का कमजोर होना
कुछ डायपर ऐसे होते हैं, जिनमें इथाइलबेंजीन, टॉल्यूइन और जायलीन जैसे वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड होते हैं। इससे बच्चों को आंखों में परेशानी के साथ इम्यूनिटी कमजोर पड़ने का खतरा हो सकता है।
-रैशेज की समस्या
डायपर के कारण होने वाले खुजली, सूजन, लालगी और रैशेज बच्चे की त्वचा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई बार इसकी वजह से नाजुक अंग को भी नुकसान हो सकता है
2. इन बातों का रखें ध्यान
-समय-समय पर करें चेक
यदि आप शिशु को पूरे दिन डायपर पहनाकर रखते हैं तो हर आधे घंटे बाद चेक करें। कई बार बच्चे एक बार के गीले डायपर को भी लंबे समय तक पहने रहते हैं और उसी को दोबारा गीला कर देते हैं। मगर इससे उन्हें इंफेक्शन हो सकता है इसलिए इसे नजरअंदाज न करें।
-सोते समय डायपर लगाने पर
अगर आप रात में बच्चे को डायपर पहना कर सुलाती है तो हर 2 घंटे बाद उसे चैक करें कि डायपर ज्यादा गीला तो नहीं है। जब आपको लगे कि यह ज्यादा गीला हो गया है उसे तुरंत बदल दें।
-8 घंटे बाद बदलें डायपर
8 घंटे के बाद बच्चे का डायपर बदलना जरूरी होता है। अगर आप समय पर बच्चों का डायपर चेंज नहीं करते हैं तो इससे रैशेज पड़ जाते हैं। डायपर चेंज करने के बाद बच्चे को नर्म कपड़े के साथ पोंछें। इससे रैशेज और इंफेक्शन का खतरा कम रहता है।
-डायपर ढीला बांधे
डायपर को ढीला करके बांधें, ताकि बाद में बच्चे के शरीर पर निशान ना बनें। इसके अलावा डायपर बदलते समय अपना एक हाथ बच्चे के पेट पर रखें।