वहीं हाईवे पर धौन के पास एक कार मलबे की चपेट में आ गई थी। कार को भारी नुकसान हुआ, लेकिन इसमें सवार बाल-बाल बच गए। लोहाघाट निवासी विजय ढेक बुधवार की रात टनकपुर से लोहाघाट आ रहे थे। तभी उनकी कार पर पहाड़ी से मलबा आ गया। कार के आगे के हिस्से में मलबा गिरते ही ढेक और दो अन्य लोग तुरंत उतरकर सुरक्षित जगह पहुंच गए। उन्हें मामूली चोटें आईं।
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बदरीनाथ् हाईवे सुचारू
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग नारायणघाटी (घोलतीर के समीप) गुरुवार शाम पांच बजे से बंद था। जिसे बीआरओ द्वारा शुक्रवार की सुबह खोल दिया गया। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग खाट गांव के नीचे भू-धंसाव से संवेदनशील बना हुआ है। यहां लोनिवि व एनएच निर्माण खंड द्वारा सड़क बनाकर वाहनों की आवाजाही कराई जा रही है।
बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में सुबह चार बजे से 10 बजे तक बंद रहा। सुबह करीब साढ़े 11 बजे हाईवे यात्रियों के लिए बहाल हुआ। पांडुकेश्वर से 345 यात्री बदरीनाथ धाम पहुंच गए हैं।
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लोहाघाट के एलएम कुंवर, चंपावत के भुवन चंद्र पांडेय आदि सैकड़ों यात्री बुधवार रात से करीब 19 घंटे तक धौन के पास फंसे रहे। उन्हें रात में न खाना मिला न पानी। इन लोगों की पूरी रात भूख ही नहीं डर के बीच भी कटी। पिथौरागढ़ से पीलीभीत जा रहे मोहम्मद इकराम, इंतजाम अहमद, पत्नी के साथ पिथौरागढ़ से खटीमा जा रहे राजेंद्र सिंह को भी 10 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। रीठा साहिब गुरुद्वारे से लौट रहे ऊधमसिंह नगर जिले के हरमित सिंह सहित कई यात्री भी यहां फंसे रहे।
29 जुलाई से होने वाली कराटे की राष्ट्रीय स्कूली प्रतियोगिता के लिए कोलकाता जा रहे पिथौरागढ़ के निखिलेश्वर चिल्ड्रन एकेडमी के पांच छात्रों को शाम को टनकपुर पहुंचाना था। ये बच्चे खतरनाक पैदल रास्तों को पार कर आगे बढ़े। जिला आपदा नियंत्रण अधिकारी मनोज पांडेय का कहना है कि पुलिस और प्रशासन ने रास्ते में फंसे यात्रियों की हरसंभव मदद की।
उधर, टनकपुर से प्राप्त समाचार के अनुसार पूर्णागिरि धाम मार्ग के हाल भी बदतर हो गए हैं। बारिश से सिद्धमोड़ पर फिर पहाड़ी का बड़ा हिस्सा दरक कर पैदल रास्ते पर गिर गया, इससे मुख्य मंदिर जाने का रास्ता बंद हो गया है। नबाटनागाड़ में भी भारी मलबा आने से सुबह के वक्त मार्ग करीब पांच घंटे तक बंद रहा।