राष्ट्रीयलखनऊ

टाइगर रिजर्व के कई कर्मचारी निलंबित

tiger reserveलखनऊ। सूबे के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वृक्षों के कटान और जलौनी लकड़ी की निकासी पर शासन ने पूरे मामले में संदिग्ध भूमिका के आरोपी उप प्रभागीय वनाधिकारी समेत 22 वनकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। तत्कालीन डीएफओ इस मामले में पहले ही निलंबित हो चुके हैं। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने अभिसूचना इकाई से जांच कराई थी कि जंगल में कहां-कहां पेड़ काटे गए। किन स्थानों से लकड़ी की निकासी की गई है। इस पर जंगल में कटे वृक्षों और साइकिलों के माध्यम से विभिन्न मार्गो से निकाली जा रही जलौनी लकड़ी की फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट तैयार की गई। यह रिपोर्ट जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को भेजकर कार्रवाई की संस्तुति हुई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने तत्कालीन डीएफओ डॉ. राजीव मिश्रा को यहां से स्थानांतरित करके मुख्यालय से संबद्ध कर दिया। करीब हफ्ते भर के अंदर उन्हें निलंबित भी कर दिया गया। अब वन संरक्षक व मुख्य वन संरक्षक की रिपोर्ट पर वन विभाग के प्रमुख सचिव ने उप प्रभागीय वनाधिकारी सुधाकर मिश्रा, महोफ के रेंजर अनिल शाह, माले के रेंजर खुर्शीद आलम, हरीपुर के रेंजर जगन्नाथ प्रसाद, हरीपुर के डिप्टी रेंजर सुभाष बाबू, माला के डिप्टी रेंजर वजीर हसन, वन दारोगा कपिल कुमार, रामेंद्र सिंह, देव ऋषि, थानेश्वर दयाल व हरेंद्र सिंह को निलंबित किया गया है। इनमें से थानेश्वर का शाहजहांपुर और कपिल का सामाजिक वानिकी में तबादला हो चुका है। इनके अलावा वन रक्षक राम भरत यादव, राजेंद्र सिंह बोरा, सईदुल रहमान, सुरेंद्र गौतम, करुणा नंद पांडेय, कृष्णा नंद बेलवाल, कुबेर सिंह, राजेंद्र सिंह, सोबरन सिंह, सद्दीक मोहम्मद तथा ज्ञानी सिंह को भी निलंबित किया गया है। मौजूदा प्रभागीय वनाधिकारी कैलाश प्रकाश का कहना है कि तीनों रेंजर और उप प्रभागीय वनाधिकारी के निलंबन की उन्हें अभी सूचना नहीं मिली है। अलबत्ता, बाकी निलंबन आदेश आ गए हैं। उधर, उप प्रभागीय वनाधिकारी तथा तीनों रेंजरों ने अपने निलंबन की पुष्टि की है।

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