ठेले वाले को कचरे में मिली बच्ची बन गई अफसर, उसने कहा- मैंने कूड़े से एक हीरा उठाया था
जिंदगी कब किसी मोड़ पर करवट बदल ले किसी को कुछ पता नहीं होता है। जिंदगी कभी आसमान में उड़ने लगती है तो कभी जमीन पर कीड़े-मकौड़ों की तरह मसल दी जाती है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जिसके बारे में जानकर आपको भी गर्व होगा। कहानी कुछ ऐसी है जिसने किसी की जिंदगी संवार दी।
दरअसल, सोबरन सब्जी बेचते थे। वह सब्जी का ठेला लेकर घर आ रहे थे। थोड़ी ही दूर चले थे कि झाड़ियों के बीच उन्हें किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर उन्होंने अपना ठेला रोका और झाड़ियों की तरफ निकल पड़े। उन्होंने जो देखा होश उड़ गये। एक मासूम बच्ची कूड़े के ढेर पर पड़ी बिलख -बिलख कर रो रहा थी।
उन्होंने इधर-उधर देखा लेकिन दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। जब कोई नहीं दिखाई दिया तो उसने मासूम को गोद में उठा लिया। करीब से देखा कि वह किसी की बेटी है। उसने बच्ची को अपने घर ले आया। उस समय उम्र 30 साल थी और उसकी शादी भी नहीं हुई थी। सोबरन उस बच्ची को पाकर बहुत खुश था। उसने फैसला ले लिया कि अब वह शादी नहीं करेगा और जिंदगी भर इस बच्ची का ख्याल रखेगा।
यह घटना है असम के जिला तिनसुखिया की। जहां सोबरन रोजी रोटी के लिए अपना सब्जी का ठेला चलाता था।ठिन मेहनत कर उसे अपनी बेटी की तरह पाला और उस लड़की का नाम रखा ज्योती। दिन रात मेहनत कर बेटी को पढ़ाया, उसे किसी चीज की कमी नहीं होने देता। खुद भूखा सो जाता, लेकिन अपनी बेटी को एक मिनट के लिए भी भूखा सोने नहीं देता। सोबरन ने 2013 में कम्प्युटर साइंस से ग्रेजुएशन कराया और इसके बाद ज्योती तैयारी में जुट गई। साल 2014 में ज्योती ने आसाम लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की और उसे आयकर सहायक आयुक्त के पद पर पोस्टिंग दी गई।
सोबरन अपनी बेटी को देखकर आंसुओं से भीग गया क्योकि उसकी बेटी ने उसके सभी सपने पूरे कर दिए। आज ज्योती अपने पिता को साथ रखती है और उनकी हर ख्वाहिस को पूरी करती है। सोबरन कहता है मैंने कूड़े से लड़की नहीं एक हीरा उठाया था जो आज हमारी बुढ़ापे की लाठी बन गया। सोबरन से जब पुछा गया की आज अपनी बेटी को इस पद पर देखकर उन्हें कैसा लगा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा की उनकी बेटी के उनकी 25 साल की मेहनत का उन्हें सबसे शानदार फल दिया है । ये कहानी पुरानी है लेकिन एक सीख देती है।