जीवनशैली

ड्रेसिंग सेंस का होता है सेहत से सीधा कनेक्शन, आप भी जानिए कैसे…

नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा कराए गए एक शोध के मुताबिक, डॉक्टर्स की ड्रेस पहनने से आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने डॉक्टर और पायलट के यूनिफॉर्म को बुद्धिमत्ता से जोड़कर देखा है। उनका मानना है कि इस ड्रेस को पहनकर व्यक्ति आत्म-विश्वास से लबरेज रहता है। एक अन्य शोध की मानें, तो एक्सरसाइज और वर्कआउट के कपड़े पहनने से मोटिवेशन मिलता है। इसी तरह फॉर्मल बिजनेस सूट पहनकर लोग ताकतवर महसूस करते हैं। अलग-अलग शोधों के माध्यम से वैज्ञानिकों ने आपके कपड़ों से आपके मूड और स्वभाव का पता लगाने की कोशिश की है और शोध बताते हैं कि किस तरह कपड़े व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। कपड़ों की अहमियत ही है कि अलग-अगल क्षेत्रों और अवसर के लिए कुछ खास ड्रेस कोड भी निश्चित कर दिया गया है, जैसे पायलट के लिए अलग यूनिफॉर्म, तो डॉक्टर के लिए अलग ड्रेस कोड।ड्रेसिंग सेंस का होता है सेहत से सीधा कनेक्शन, आप भी जानिए कैसे...
अब तो आप समझ गई होंगी कि आपकी ड्रेसिंग सेंस कैसे आपके व्यक्तित्व को प्रभावित करती है? ग्रूमिंग एक्सपर्ट रीटा गंगवानी कहती हैं, ‘हर फैशन और स्टाइल के पीछे एक साइकोलॉजी है और यह बात कई शोधों में सामने आ भी चुकी है। हम जो भी कपड़े खुद के लिए चुनते हैं, उसके पीछे और भी कई कारण होते हैं। मसलन कि हम किस संस्कृति के हैं। किस जगह में रहते हैं। हमारा पेशा क्या है? किससे मिलने जा रहे हैं? शादी में जा रहे हैं या किसी अन्य पार्टी में।

इस तरह कपड़ों के चुनाव में कई सारे फैक्टर काम करते हैं। लेकिन जब हम रोजाना की जिंदगी में कपड़ों का चुनाव करते हैं, तो उसके पीछे हमारा मूड ही जिम्मेदार होता है। किसी व्यक्ति की क्या सोच है, यह उसके कपड़ों से जाहिर हो जाता है। आपका मूड भले ही खराब हो, लेकिन जैसे ही आप पसंद की कोई ड्रेस पहनती हैं, तो मूड तुरंत बदल जाता है। यानी आपके कपड़े आपकी सेहत, मूड और आत्मविश्वास पर भी असर डालते हैं। भले ही कुछ लोग यह कहें कि व्यक्ति अपनी सोच से महान बनता है, न कि कपड़ों से।

मगर एक सच यह भी है कि कपड़े का आपके बाहरी व्यक्तित्व पर असर पड़ता ही है। कोई व्यक्ति सबसे पहले आपको अपनी आंखों से जज करता है, फिर बातों से, इसलिए बाहरी प्रभाव के लिए कपड़ों का चयन सलीके वाला होना चाहिए। कपड़े में स्मार्टनेस झलकनी चाहिए, क्योंकि आपका स्टाइल और आपका पहनावा आपकी सेहत, मूड, आत्मविश्वास, यहां तक की आपके प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है।’

एथलीट सूट से मोटिवेशन

2013 में नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि वर्कआउट के लिए पहना जाने वाला आउटफिट आपको और ज्यादा एक्टिव बनाता है। इससे आप अपने वर्कआउट पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं। जब आप जिम जाते हैं, तो उस समय वर्कआउट के लिए बने खास कपड़े पहनने से मोटिवेशन मिलता है। इसी तरह रंगों का भी असर आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है। 

एक शोध के मुताबिक, लाल रंग के वर्कआउट ड्रेस पहनने से लोग हेवी वेट लिफ्ट कर पाते हैं। यह शोध साल 2004 के ओलंपिक में यह देखने के बाद हुआ था कि जिन एथलीट्स ने लाल कपड़े पहने थे, उन्होंने ज्यादा इवेंट्स जीते थे, ब्ल्यू पहनने वाले एथलीट्स के मुकाबले। यह शोध जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज साइकोलॉजी में प्रकाशित हुई थी। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने लाल रंग की ड्रेस (वर्कआउट आउटफिट) में एक्सरसाइज की थी, उन्होंने ज्यादा हेवी एक्सरसाइज की थी। अगर आप भी हार्ड एक्सरसाइज करना चाहती हैं, तो लाल रंग का वर्कआउट ड्रेस पहनें। हालांकि, वैज्ञानिक इस पर अभी और शोध कर रहे हैं।

जर्नल ऑफ फैशन मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सबसे पहले कपड़ों से ही आपको जज किया जाता है, इसलिए कहा जाता है कि फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन यानी पहले प्रभाव में आपके कपड़े अहम भूमिका निभाते हैं। लोग सबसे पहले आपके कपड़ों को देखकर ही आपके बारे में अपनी पहली राय बनाते हैं, इसलिए अपनी ड्रेसिंग पर अवश्य ध्यान दें। अगर आप किसी पर अपना प्रभाव जमाना चाहती हैं, तो पहली बार उनसे मिलते समय अच्छे कपड़े पहनकर जाएं।

पावरफुल ड्रेसिंग

सोशल साइकोलॉजिकल एंड पर्सनैलिटी साइंस द्वारा कराए गए एक शोध की मानें, तो बिजनेस सूट पहनकर व्यक्ति खुद को ज्यादा ताकतवर महसूस करता है, इसलिए बिजनेस और नौकरी पर फॉर्मल कपड़े पहनना ज्यादा फायदेमंद होता है। फॉर्मल बिजनेस सूट लोगों में आत्म-विश्वास तो बढ़ाता ही है, साथ ही इस ड्रेस को पहनकर लोग ताकतवर भी महसूस करते हैं। इससे वे तेजी से निर्णय ले पाते हैं और ज्यादा रचनात्मक बनते हैं। यानी पावरफुल ड्रेसिंग की बात गलत नहीं है।

अगर आप आत्म-विश्वास से भरपूर खुद को ताकतवर महसूस करना चाहती हैं, तो कार्यस्थल के लिए फॉर्मल बिजनेस सूट का चुनाव करें। इससे ऑफिस में आपका प्रदर्शन सुधरता है और आत्म-विश्वास जगता है। एक अन्य शोध के अनुसार, जो लोग नौकरी पर अपने कपड़ों और पर्सनैलिटी पर ज्यादा ध्यान देते हैं, वे ज्यादा रचनात्मक होते हैं। ऐसे लोग कार्यस्थल पर तेजी से फैसला ले पाते हैं।

स्मार्ट दिखना है, तो डॉक्टर कोट
2014 में केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी) के प्रोफेसर एडम हाजो और एडम डी गैलिंस्की द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि डॉक्टर या पायलट का यूनिफॉर्म बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। यह ड्रेस आपको ज्यादा स्मार्ट महसूस करवाता है। यह रिसर्च जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित हुई थी। इस शोध में शामिल लोगों को कोट पहनने को दिया गया।

आधे लोगों से कहा गया कि यह डॉक्टर का कोट है और बाकी आधे लोगों को बताया गया कि यह पेंटर का कोट है। डॉक्टर का कोट पहने आधे लोगों को कुछ टास्क दिए गए। उन्होंने बहुत ही आत्म-विश्वास के साथ अपने सारे टास्क पूरे किए और वह भी बिना गलती किए यानी उन्होंने कम गलतियां कीं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अचानक महसूस होने लगा कि लोग केवल उन्हें ही देख रहे हैं। इससे उनके आत्म-विश्वास में वृद्धि हुई। कहने का मतलब यह है कि आपकी पोशाक का आपके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है।

सुपरहीरो ड्रेस से बढ़ता है आत्म-विश्वास

यूनिवर्सिटी ऑफ हर्टफोर्डशायर के प्रोफेसर कैरे पाइन अपनी किताब ‘माइंड व्हाट यू वियरः द साइकोलॉजी ऑफ फैश्ान’ में कहती हैं कि आप जो कुछ भी पहनते हैं, उससे आपकी पर्सनैलिटी के बारे में पता चलता है। आपकी सेहत, मूड और कॉन्फिडेंस पर आपके कपड़ों का असर पड़ता है। उन्होंने कुछ छात्रों से पूछा कि सुपरहीरो की ड्रेस पहनकर वह कैसा महसूस कर रहे हैं? तो उनका कहना था कि मानसिक और शारीरिक स्तर पर वे काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं। उनका आत्म-विश्वास बढ़ा हुआ था।

फैशन साइकोलॉजी की दो थ्योरी हैं- मूड इलेस्ट्रेशन और मूड इनहैंसमेंट। अपने मूड के अनुसार कपड़े पहनना मूड इलस्ट्रेशन है और कपड़े पहनकर मूड का बदल जाना मूड इनहैंसमेंट है। मान लीजिए कि किसी वजह से आपका मूड खराब है, मगर जैसे ही आप थोड़ा सज-संवरकर बाहर घूमने निकलती हैं, तो आपको अच्छा महसूस होने लगता है। यह मूड इनहैंसमेंट है। दरअसल, कपड़े बदलने के साथ ही मस्तिष्क को संदेश मिला कि मुझे एक्शन में आना है। यह सब फैशन की साइकोलॉजी ही तो है। कपड़ांे के सेलेक्शन पर भी यही बातें लागू होती हैं।

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, डॉ. भावना बर्मी बताती हैं कि ‘हम जो कपड़े पहनते हैं, उनका हमारे मूड पर क्या असर होता है? उसका हमारे आत्म-विश्वास पर क्या असर होता है? उस कपड़े को पहनकर हमारा पूरा दिन कैसा गुजरता है? ये सब बातें फैशन साइकोलॉजी की तो हैं। या यूं कहें कि किसी भी व्यक्ति की पर्सनैलिटी का अहम हिस्सा होता है उसका ड्रेसिंग सेंस। आप क्या पहनते हैं और कैसे पहनते हैं, इसका असर आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है।

इंटरव्यू में भी आजकल कपड़ों से लेकर पूरी पर्सनैलिटी पर काफी ध्यान दिया जाता है। इसलिए जब भी आप किसी से पहली बार मिलें, तो अपने कपड़ों का चुनाव उसी हिसाब से करें, क्योंकि सामने वाले पर फर्स्ट इंप्रेशन आपके कपड़ांे से ही पड़ता है। कपड़े आपके आत्म-विश्वास को ही प्रभावित नहीं करते हैं, बल्कि मूड बदलने का भी एक जरिया है कपड़ा।’

 
 

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