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तकदीर में ही थी तीरंदाजी रजत चौहान को चुनौती लेना पसंद हैं

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ rajat3-1438769131राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब सौ पदक जीत चुके राजस्थान के तीरंदाज रजत चौहान को चुनौती लेना पसंद हैं, चाहे वह खेल के मैदान में हो या निजी जीवन में।
 
उन्होंने साथी खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा को चुनौती मानते हुए और कड़ी मेहनत की तथा कुछ ही समय में उन्हें पीछे छोड़ देश के नम्बर के कम्पाउंड तीरंदाज बन गए। पेश है रजत के नौ साल लम्बे करियर के बारे में बातचीत…
 
प्र. तीरंदाजी चुनने के पीछे क्या कारण रहा? 
उ. कहते हैं ना तकदीर में जिस मंजिल तक पहुंचना लिखा होता है उसका रास्ता इंसान को खुद-ब-खुद नजर आ जाता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। 2007 से पहले तक मैं ताइक्वांडो खेलता था। पढ़ाई में मेरा मन शुरू से ही नहीं लगता था तो एक दिन बड़े भाई ने व्यक्तिगत खेल को चुनने की सलाह दी। जब मैंने स्टेडियम में एंट्री ली तो सोच लिया था कि जो मैदान पहले पड़ेगा वहीं खेल चुन लूंगा। सबसे पहले तीरंदाजी एरेना पड़ा तो वहीं एंट्री ली और फिर शुरू हो गया बतौर तीरंदाज मेरा सफर। 
  
प्र. कितना संघर्ष करना पड़ा यहां तक पहुंचने को?
उ. संघर्ष हर क्षेत्र में करना पड़ता है। खेल के क्षेत्र में खुद को एक बार नहीं बल्कि हर टूर्नामेंट में साबित करना होता है चाहे वह जिला स्तर का ही क्यों न हो। मैंने कड़ी मेहनत की और लगातार परिणाम दिए। साथी खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा की और आगे चलकर उन्हें पीछे छोड़ राष्ट्रीय स्तर पर चैम्पियन बना। हालांकि इस दौरान मुझे आर्थिक रूप से काफी समस्याएं उठानी पड़ीं?
 
प्र. परिवार के सदस्यों ने कितना सहयोग किया?
उ. परिवार के बगैर किसी भी व्यक्ति को तरक्की नहीं मिल सकती है। मेरा यही मानना है। मैंने जब तीरंदाज बनने का फैसला किया और मुझे उपकरणों की जरूरत थी तो मेरे पिता ने अपनी सारी जमा पूंजी उसमें खर्च कर दी। उन्होंने मेरा हौसला कभी टूटने नहीं दिया। मम्मी-पापा के लिए मैं जितना कर पाऊं उतना कम ही होगा। 
 
प्र. 2014 इंचियोन एशियाड में फाइनल में कितना दबाव था?
उ. मैं हमेशा टीम स्पर्धा में फाइनल राउंड में उतरता हूं तो मुझे पता था कि मुझ पर काफी जिम्मेदारी होगी। अभिषेक वर्मा अपना राउंड अच्छा खेल चुके थे, संदीप के समय हम थोड़ा पिछड़ गए थे। सामने मेजबान दक्षिण कोरिया की मजबूत टीम थी, लेकिन मैंने बस ठान ली थी कि यह मौका फिर नहीं मिलने वाला, जो करना है, आज और अभी करना है। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और हम चैम्पियन बने। 

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