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तस्करी ही नहीं, व्यापमं और देशद्रोह के आरोपियों की भी करवाई गई फर्जी तरीके से जमानत!

vyapam-officeभोपाल. मध्य प्रदेश एमपी की अदालतों में फर्जी तरीके से जमानत कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. इस गिरोह ने न केवल तस्करों बल्कि देशद्रोह के आरोपियों की भी फर्जी ऋण पुस्तिका के आधार पर जमानत करवाई थी.

भोपाल क्राइम ब्रांच ने फर्जी तरीके से जमानत कराने वाले पांच सदस्यीय गिरोह के बसंत श्रीवास्तव, जीवन सिंह मीना, गणेश मकवाना और वीरेंद्र सोलंकी को गिरफ्तार किया है. गिरोह का सरगना राजू मीना अभी भी फरार बताया जा रहा है.

पुलिस के मुताबिक ये गिरोह जमीन की फर्जी ऋण पुस्तिका के जरिए आरोपियों की जमानत कराता था. जमानत करवाने की एवज में गिरोह आरोपियों से मोटी रकम वसूलता था.

पूछताछ के दौरान सामने आया है कि आरोपियों ने देशद्रोह से लेकर मारपीट के मामलों में करीब 500 आरोपियों को जमानत दिलवाई है. पहले ये आंकड़ा 150 बताया जा रहा था. पुलिस का आशंका है कि इन मामलों में व्यापमं के आरोपियों की जमानत भी शामिल हो सकती है. इस वजह से अब पुलिस ने इस बिंदु पर भी जांच शुरू कर दी है.

ऐसे हुआ खुलासा

इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार हुए नेपाल के नकली नोट तस्करों गैसूल आलम और जौवाद अलम को ढूंढना चाहा. तब उन्हें पता चला कि उनकी जमानत हो चुकी है.

जिस पर ये ढूंढा गया कि जमानत किसने करवाई है. तलाश पूरी होने पर पुलिस को इस गिरोह के बारे में पता चला जिसके बाद कार्रवाई करते हुए गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया.

बताया जा रहा है कि तस्करों की फर्जी तरीके से जमानत करवाने के लिए आरोपियों ने दो-दो लाख वसूले थे.

जमानत से पहले रिहर्सल

आरोपी सदस्य किसी को जमानत दिलाने से पहले उनके परिवार के साथ मिलकर रिहर्सल करते थे ताकि जमानत के समय कोर्ट में किसी को शक न हो.

रिहर्सल पूरी होने पर जमानतदार कोर्ट में जाकर इस तरह से बातचीत करता था जिससे सभी को लगे कि जमानत करवाने वाला अपराधी का ही कोई परिचित है. काम पूरा होने के बाद कोर्ट से बाहर आते ही गिरोह अपराधी के परिवार से मन मुताबिक रकम वसूलता था.

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