तो इसलिए इस रियासत का नवाब अपनी पूरी रियासत को छोड़कर भाग गया था पाकिस्तान
आज़ाद हिन्दुस्तान से पहले भारत में रियासतों का दौर था, तब भारत में कई ऐसी रियासतें थीं जो नवाबों के अधीन हुआ करती थीं और इन्हीं में से एक रियासत थी जूनागढ़। जूनागढ़ का अर्थ होता है पुराना किला और इस रियासत के जो नवाब थे, उनका नाम था महाबत खान। इसलिए 15 अगस्त 1947 को जब देश आज़ाद हुआ था, तब सब से बड़ी चुनौती थी कि रियासतों को किस तरह एकत्रित किया जाए और एक सशक्त साम्राज्य की स्थापना की जाए। इस बात के संदर्भ में अलग-अलग तरह के कई मत थे, सभी नवाब अपनी अलग-अलग राय रख रहे थे। कोई रियासतों का एकीकरण चाहता था तो वहीं किसी के विचार कुछ अलग थे।
ये कुछ ऐसी बातें थीं जो उस दौर में ज्वलंत सवालों की तरह उभर रही थीं। ऐसे वक्त में भारत के गृह मंत्री सरदार पटेल ने रियासतों को एकीकृत करने का बीड़ा उठाया और इस काम को बड़ी ही ज़िम्मेदारी के साथ निभाया लेकिन उस वक्त पर महाबत खान एक ऐसे नवाब थे जो चाहते थे कि उनकी रियासत जूनागढ़ का भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान में विलय हो।
महाबत के इस निर्णय की एक बहुत बड़ी वजह उनकी पत्नी भी थी। उनकी पत्नी का नाम भोपाल बेगम था। भोपाल बेगम ऐसा चाहती थी कि जूनागढ़, पाकिस्तान में विलय हो इसलिए उन्होंने इस संदर्भ में लोगों का पक्ष जानने के लिए वोटिंग की गई। अधिकतर लोग भारत में शामिल होना चाहते थे लेकिन वोटिंग के नतीजे बड़े ही चौंका देने वाले थे। 20 फरवरी 1948 को हुई इस वोटिंग में लाल और हरे रंग के बैलेट बॉक्स रखे गए।
वोटिंग में 91 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान के पक्ष में वोट दिया और इस वोटिंग में पाकिस्तान में विलय के पक्ष में नतीजा आया। आपको बता दें कि वोटिंग से पहले ही लोगों के ज़हन में बसी इस बात को महाबत ने समझ ली थी कि लोग भारत में रहना चाहते थे। महाबत का ऐसा मानना था कि अगर वोटिंग हुई तो कोई भी पाकिस्तान में विलय के पक्ष में वोट नहीं करेगा लेकिन क्योंकि वो अपनी रियासत का पाकिस्तान में विलय चाहते थे इसलिए वो नतीजों का इतंज़ार किए बिना ही पाकिस्तान भाग गये।