….तो इसलिए बजट में नहीं मिली मध्यम वर्ग को राहत
इस बार के बजट ने मध्यम वर्ग को निराश किया है. इस वर्ग को उम्मीद थी कि वित्त मंत्री आयकर की स्लैब में बदलाव करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने मध्यम वर्ग को अन्य तरीकों से राहत दी है .आयकर की स्लैब में बदलाव करना जरुरी नहीं है .
बता दें कि ओपन हाउस मीटिंग में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि छोटे करदाताओं को टैक्स के दायरे में लाने के लिए पिछले साल 2.5 लाख से 5 लाख रुपये वाले स्लैब पर टैक्स की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी थी.5 प्रतिशत का स्लैब दुनिया में सिर्फ भारत में ही है, जो दुनिया का न्यूनतम टैक्स स्लैब है. कम आमदनी वाले मध्यम वर्ग के छोटे कर दाताओं को राहत देने के विभिन्न तरीके अपनाए गए .
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने अपने तर्कों के तीर छोड़ते हुए कहा कि .प्रायः सभी बजट में छोटे मध्यमवर्गीय करदाता को चरणबद्ध तरीके से राहत दी गई है. पहले टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये थी. मैंने इसे 3 लाख रुपये कर दी. 2017-18 के बजट में 3.5 लाख तक की वार्षिक आमदनी वालों को टैक्स में 2,500 रुपये की छूट दे दी. ऐसे में 3 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स से पूरी तरह छूट मिल गई क्योंकि 2.50 लाख रुपये की कमाई टैक्स फ्री है. बाकी के 50 हजार रुपये पर 5 प्रतिशत से 2,500 रुपये का जो टैक्स लगता, वह भी फ्री हो गया.