राज्यलखनऊ

दरोगा भर्ती में रिमोट एक्सेस टूल से लगाई थी सेंध, मामले में सात गिरफ्तार

यूपी की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने दरोगा की सीधी भर्ती परीक्षा-2016 के ऑनलाइन पेपर लीक मामले के खुलासे का दावा करते हुए सात लोगों को गिरफ्तार किया है। मामले में परीक्षा कराने वाले एजेंसी एनएसईआईटी की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कानपुर में रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले व जेल में बंद आरोपी के ही इंस्टीट्यॅूट को एजेंसी ने परीक्षा का सेंटर बना दिया।
आगरा के इसी सेंटर ओम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन से परीक्षा में गड़बड़ी का खुलासा करते एसटीएफ ने इंस्टीट्यूट के संचालक, आईटी हेड, विजिलेटर, तीन अभ्यर्थी व एक मीडिएटर को गिरफ्तार किया है। इस रैकेट के तार हरियाणा, दिल्ली व एमपी से जुड़े बताए जा रहे हैं।
दरोगा भर्ती में रिमोट एक्सेस टूल से लगाई थी सेंध, मामले में सात गिरफ्तारआईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि 17 से 31 जुलाई के बीच प्रदेश के 97 सेंटरों पर दरोगा भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा कराई गई थी। इसी दौरान सोशल मीडिया पर पेपर लीक की जानकारी मिली। एसटीएफ के साइबर थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में मिले सुबूत के आधार पर पहले पार्ट का खुलासा किया गया है, जिसमें सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने बताया कि पेपर लीक के लिए रिमोट एक्सेस टूल का इस्तेमाल किया गया और परीक्षार्थी को रिमोट एक्सेस टूल का पासवर्ड दे दिया जाता था। इसके जरिये सेंटर से बाहर बैठा व्यक्ति दूसरे कम्यूटर पर प्रश्नपत्र को हल कर देता था। इसके लिए प्रति अभ्यर्थी से दस-दस लाख रुपये लिए जा रहे थे, जिसमें से तीन-तीन लाख एडवांस लिए गए थे। बाकी पैसे परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से लिया गया।

परीक्षा कराने वाली एजेंसी ने नहीं किया मानकों का पालन

दरोगा की सीधी भर्ती परीक्षा-2016 के ऑनलाइन पेपर लीक मामले का बुधवार को खुलासा करते हुए एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि परीक्षा कराने वाली एजेंसी ने इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी पॉलिसी के मानकों का पालन नहीं किया। सिक्योरिटी के कुल 138 मानक थे जिनमें से अधिकतर को नजरअंदाज किया गया। परीक्षा कराने वाली एजेंसी एनएसईआईटी द्वारा न तो सेंटर पर काम करने वालों का सत्यापन कराया गया और न ही वहां के हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर की सिक्योरिटी की जांच की गई।
इसके कारण ही पूरे सिस्टम में सेंध लगाना आसान हो गया। अब परीक्षा कराने वाली कंपनी का सिक्योरिटी ऑडिट कराया जा रहा है। कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट देने या एफआईआर दर्ज कराने के बारे में आईजी ने कहा कि इसकी अभी और जांच की जा रही है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एजेंसी की भूमिका के अनुसार उस पर कार्रवाई की जाएगी।

ओम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट से खुली परतें
आईजी ने बताया कि पेपर लीक की परतें आगरा के ओम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट से खुलनी शुरू हुईं। यह इंस्टीट्यूट रेलवे के कानपुर में ऑनलाइन पेपर लीक मामले में शामिल रहे सौरभ जाखड़ का है। सौरभ हरियाणा के पलवल में जेल में हत्या के आरोप में बंद है। उसका भाई गौरव आनंद बाहर रह कर पूरा गिरोह संचालित कर रहा है और वही इंस्टीट्यूट का वर्तमान संचालक बताया जा रहा है।

गौरव से पूछताछ हुई तो पता चला कि उसने इंस्टीट्यूट के आईटी हेड बलराम के साथ मिलकर इंटीट्यूट के कंप्यूटरों पर रिमोट एक्सेस टूल अपलोड किए थे। सेंटर के इंविजिलेटर पुष्पेंद्र सिंह के साथ मिलकर दो अभ्यर्थी दिनेश कुमार व दीपक कुमार ने पैसे देकर पूरे सिस्टम में सेंध लगवाई थी। इस मामले में मीडिएटर के रूप में सक्रिय गौरव खत्री को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आईजी ने बताया कि कुछ और लोगों के नाम भी प्रकाश में आए हैं, जिनके बारे में छानबीन की जा रही है।

सर्वर हैक कर चार घंटे पहले ही पेपर निकाला

एसटीएफ ने बताया कि आगरा के अलावा इलाहाबाद से भी पेपर लीक हुआ है। आगरा में जहां रिमोट एक्सेस टूल का इस्तेमाल किया गया वहीं इलाहाबाद में सर्वर हैक कर चार घंटे पहले ही अभ्यर्थी को पेपर मुहैय्या करा दिया गया। इस मामले में राकेश नाम के युवक को शक के आधार पर लखनऊ बुलाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि वहां चार घंटे पहले ही पेपर मिल गया था और उसने हल कर लिया था। मिर्जापुर के कछवां थाना क्षेत्र के राकेश विश्वकर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है।
दस लाख में सौदा, तीन लाख एडवांस
इस परीक्षा का पेपर लीक कराने के लिए प्रति अभ्यर्थी से 10 लाख रुपये में सौदा किया गया था। एडवांस के तौर पर तीन-तीन लाख  लिए गए थे। बाकी परीक्षा समाप्त होने के बाद दिए जाने थे। आईजी ने बताया कि इस पूरे गिरोह के मुख्य संचालक और मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी अभी नहीं हुई है। कई और सेंटरों से इस तरह की गड़बड़ी की सूचना मिली है, जिसपर एसटीएफ काम कर रही है।
सुरक्षित नहीं ऑनलाइन परीक्षाएं
आईजी ने बताया कि जिस तरह से इस परीक्षा को कराया गया उससे यह तय है कि बाकी परीक्षाएं भी अगर ऐसे हुई होंगी तो वहां भी  प्रश्नपत्र लीक नहीं हुआ हो, इसकी गारंटी नहीं है। उन्होंने बताया कि अभिसूचना संकलन के दौरान पता चला कि उक्त परीक्षा का पेपर लीक करने वाले गिरोह के सदस्य अलीगढ़, मथुरा, आगरा व इलाहाबाद के अलावा हरियाणा के जिला पलवल में सक्रिय हैं। यह भी जानकारी मिली कि इस गिरोह द्वारा यूपी के अलावा एमपी, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में होने वाली ऑनलाइन परीक्षा का पेपर लीक कर अवैध वसूली की जाती रही है।

कैसे करते थे पेपर लीक

आईजी ने बताया कि यह गिरोह परीक्षा केंद्र के परीक्षा संचालक और आईटी हेड व इनविजीलेटर से सांठगांठ करके केन्द्र के सभी कम्प्यूटर पर रिमोट एक्सेस टूल इंस्टॉल कर लेते थे। इसका यूजर आईडी और पासवर्ड गिरोह के सरगना को बता दिया जाता था। इससे दूर किसी कंप्यूटर पर बैठा साल्वर सीधे परीक्षा केंद्र के कंप्यूटर को न सिर्फ नियंत्रित कर लेता था बल्कि पूरा पेपर साल्व कर लेता था। इसी तरह परीक्षा कराने वाली एजेंसी एनएसईआईटी के लोकल सर्वर को हैक करके भी प्रश्नपत्र लीक किया गया। आईजी ने गिरोह का पर्दाफाश करने वाली टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।

इनकी हुई गिरफ्तारी
1-गौरव आनंद, निवासी करीमपुर थाना हसनपुर, जिला पलवल (हरियाणा)
2-बलराम, निवासी करीमपुर थाना हसनपुर, जिला पलवल (हरियाणा)
3-पुष्पेन्द्र सिंह, निवासी छाता थाना छाता, जिला मथुरा
4-दिनेश कुमार, निवासी गढ़ीसूरजमल थाना टप्पल, जिला अलीगढ़
5-दीपक कुमार, निवासी गढ़ीसूरजमल थाना टप्पल जिला, अलीगढ़
6-गौरव खत्री, निवासी गढ़ीसूरजमल थाना टप्पल जिला, अलीगढ़
7- राकेश कुमार, विश्वकर्मा निवासी पाहू थाना कछवां जिला, मिर्जापुर

 

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