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दशहरा 2015 : पौराणिक कथाओं की झलक और टेस्टी फूड का स्‍वाद

dussehra-650_650x488_51445427779दस्तक टाइम्स/एजेंसी नई दिल्ली: दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत कहा जाता है। हर कोई साल के इस फेस्टिवल टाइम को पसंद करता है। इस दौरान शहर की चमक और ऐसी बहुत-सी चीज़ें होती हैं, जिन्हें नज़रअंदाज करना मुश्किल होता है। जगह-जगह बने दूर्गा पूजा के पंडाल एक-दूसरे को चुनौती दे रहे होते हैं और कुछ टेस्टी फूड की पेशकश लोगों के मूड को फ्रेश करने के लिए काफी होती है।

रेस्तरां में नवरात्रि स्पेशल फूड और पूरी-चना-हलवे के साथ कंजक पूजन आदि का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। पश्चिमी भारत में नवरात्रि को डांस फेस्टिवल के रूप में भी मनाया जाता है, गुजरात में गरबा और महाराष्ट्र में डांडिया। हाल के वर्षों में डांडिया फीवर देशभर में फैल चुका है, शायद बॉलिवुड फिल्मों में गरबा/डांडिया गाने-डांस ही इसका मुख्य कारण है। भगवान राम के हाथों रावण की हार को दशहरा के रूप में मनाया जाता है, यह सभी त्योहार दशहरा के अंतर्गत ही आते हैं।

दशहरा को विजय दशमीं के नाम से भी जाना जाता है, दानव महिषासुर पर देवी दूर्गा की जीत का चिन्ह। कहा जाता है कि देवी दूर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से लड़ाई की थी। दसवें दिन, जिसे दशमी भी कहते हैं उन्हें विजय हासिल हुई थी।
इस साल दशहरा 22 अक्टूबर 2015 को मनाया जा रहा है। यह प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है लेकिन यह दिवाली की तरह व्यापक रूप में नहीं मनाया जाता (जो कि दशहरा के 20वें दिन आती है)। दूर्भाग्यवश, पिछले कुछ वर्षों में ऐसा देखा गया है कि लोगों में त्योहार मनाने का उत्साह कम हो गया है। बच्चों में उत्साह भरने के लिए स्कूलों में घर की तरह ही सेलिब्रेशन किया जाता है, लेकिन परिवार के साथ मैदान में जाकर जलते हुए रावण को देखना और थियेटर आर्टिस्ट द्वारा अभिनय की गई रामलीला देखना आदि अब कम हो गया है या फिर न के बराबर ही है।

अगर आप रामलीला आदि के बारे में थोड़ी और जानकारी चाहते हैं, तो बता दें कि शहरभर में कई जगहों पर दशहरा की पूरी कहानी थियेटर आर्टिस्ट द्वारा जनता के सामने पेश की जाती है। आप वहां बैठ कर कहानी का लुत्फ उठा सकते हैं। यही नहीं, यहां का माहौल एक मेले की तरह होता है, जिसे आप खूब पसंद करेंगे। इस साल भी, आप इस माहौल का मज़ा लेने के लिए पुरानी दिल्ली के रामलीला मैदान जा सकते हैं। कथित रूप से कहा जाता है कि 170 साल पहले यह रामलीला मुगल सम्राट बहादुर शाह जफ़र द्वारा शुरू की गई थी। मैदान में पहुंचने से पहले रामलीला में प्ले करने वाले एक्टर अपने अभिनय की पोशाक में चांदनी चौक की भीड़-भाड़ वाली गलियों से परेड करते हुए गुजरते हैं।

यहां पर फूड पूरी तरह से शाकाहारी होता है और खुबसूरती से सजे दिल्ली के स्ट्रीट फूड को देख लोग उसकी ओर आकर्षित हुए बिना खुद को नहीं रोक पाते। छोले भटूरे से लेकर चाट, दाल बाटी चूरमा और कई अन्‍य लुभावनी डिश यहां आपको मिल जाएंगी। यहां पर मिलने वाला चीला भी काफी स्वादिष्ट होता है, सरसों का साग, जिसे मक्की की रोटी के साथ सर्व किया जाता है, इस मौसम के लिए बेस्ट है। आखिर में रोलर कुल्फी से अपने मील को खत्म किया जा सकता है, जो कि एक अलग कॉन्सेप्ट है।

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