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दिल्ली की 13 नगर निगम सीटों पर उपचुनाव आज हो रहे

एजेंसी/ mcd-bypolls_650x400_51463247889नई दिल्‍ली: दिल्ली के 13 नगर निगम वार्डों पर आज वोट डाले जा रहे हैं। 2012 में दिल्ली नगर निगम के सभी 272 वार्डों पर चुनाव हुआ था, जिसके बाद 2013 से लेकर 2015 तक पार्षदों के विधायक बन जाने के कारण ये वार्ड खाली होते रहे। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने चुनाव कराने का फैसला किया। नतीजे मंगलवार 17 मई को घोषित किए जाएंगे।

दिल्ली के जिन 12 विधान सभा क्षेत्रों के 13 वार्ड में ये चुनाव हो रहे हैं, वहां आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। दिल्ली की तीनों पार्टियों आप, बीजेपी और कांग्रेस ने इन चुनावों के लिए जमकर प्रचार किया है।

ये हैं विधान सभा अनुसार वार्ड…

नगर निगम वार्ड                         विधानसभा क्षेत्र
1. कमरुद्दीन नगर                         नांगलोई जाट
2. शालीमार बाग़ नॉर्थ                   शालीमार बाग़
3. वज़ीरपुर                                 वज़ीरपुर
4. बल्लीमारान                             बल्लीमारान
5. विकास नगर                             विकासपुरी
6. नवादा                                      उत्तम नगर
7. मटियाला                                 मटियाला
8. मुनिरका                                   आर के पुरम
9. नानकपुरा                                 आर के पुरम
10.भाटी माइंस                             छत्तरपुर
11. तेहखंड                                  तुगलकाबाद
12. खिचड़ीपुर                              कोंडली
13. झिलमिल                               शाहदरा

आइये ज़रा समझें कि ये चुनाव किस पार्टी के लिए कितना अहम है और उसने इस चुनाव में क्या किया है…

आम आदमी पार्टी
दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है। जिन 12 विधानसभा के कुल 13 वार्डों में चुनाव हो रहे हैं, वहां आम आदमी पार्टी के ही विधायक हैं। इसलिए उन पर चुनाव में सर्वश्रेष्ठ करने का दबाव है। साथ ही बीते साल दिल्ली में 70 में 67 सीटें जीतने के बाद नगर निगम में अपना परचम लहराना आम आदमी पार्टी के इसलिये भी ज़रूरी है, क्योंकि उसको साबित करना है कि दिल्ली का उसमें भरोसा बरकरार है। पार्टी इस उप चुनाव में लड़ना ही नहीं चाहती थी, क्योंकि ये उप चुनाव हैं और पार्टी के लिए इसमें जीतने से कुछ ख़ास फायदा होता नहीं दिख रहा था, जबकि हारने पर नुकसान ज़्यादा हो जाता, लेकिन दिल्ली के किसी चुनाव में न उतरना और अपने वोटर को दूसरी पार्टी को चुनने के लिए मजबूर होने देना पार्टी को ठीक नहीं लगा, इसलिए पार्टी ये चुनाव पूरे दमखम से लड़ रही है।

सीएम अरविन्द केजरीवाल ने चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद किसी वार्ड में प्रचार नहीं किया, लेकिन उससे पहले अलग-अलग तरीके से सभी वार्ड में सभा की। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पार्टी नेता कुमार विश्वास, संजय सिंह, दिलीप पाण्डेय समेत पूरी कैबिनेट ने इन चुनावों के प्रचार किया है।

भारतीय जनता पार्टी
बीजेपी दिल्ली की तीनों नगर निगमों में सत्ता पर काबिज है, इसलिए उसके लिए इन चुनावों में बेहतर करने का दबाव समझा जा सकता है। बीजेपी 2007 से दिल्ली नगर निगम में सत्ता में काबिज है, लेकिन सरकार से 1998 से गायब है। बीते साल हुए चुनाव में 70 में से केवल 3 सीटें जीतने की निराशा के बाद बीजेपी अपने इस किले को मज़बूत रखना चाहती है, इसलिए उसने अपनी पूरी ताक़त इन चुनावों में लगाई है।

कांग्रेस
दिल्ली नगर निगम में सत्ता से कांग्रेस 2007 से गायब है। जबकि 2013 में दिल्ली और 2014 में देश की सत्ता से विदाई के बाद 2015 में दिल्ली चुनाव में शून्य सीट जीतने वाली कांग्रेस के पास इन चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन पार्टी अपना खोया जनाधार वापस पाने के लिए इन चुनावों में पूरा ज़ोर लगाती दिखाई दी है। पार्टी के केंद्रीय नेता दिग्विजय सिंह, राज बब्बर, शकील अहमद, गुलाम नबी आज़ाद, ऑस्कर फर्नांडिस, जनार्दन द्विवेदी जैसे नेताओं ने इन चुनावों के लिए जमकर प्रचार किया।

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