उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों के जवाब नहीं मिलने से नाराज गोयल ने बुधवार को सदन में विरोध स्वरूप काली पट्टी बांध ली।
हालांकि, सदन की गरिमा व संवैधानिक परंपरा टूटने का हवाला देकर विपक्ष ने इसका विरोध भी किया। लेकिन सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष ने विरोध जारी रखा।
विधानसभा का प्रश्न काल शुरू होने पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत सरकार के सभी मंत्री और विधायक अधिकारियों से जवाब नहीं मिलने के विरोध में काली पट्टी बांधकर सदन पहुंचे। सदन में सबसे पहला सवाल सौरभ भारद्वाज ने किया।
उपराज्यपाल पर साधा निशाना
जिस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सवाल मुख्य सचिव से जुड़ा होने की वजह से इसका जवाब नहीं आया है। इस पर विधायक समेत विधानसभा अध्यक्ष भड़क गए। वहीं, विधायक विशेष रवि ने कहा कि सभी सदस्यों को अधिकारियों की सद् बुद्धि देने के लिए दो मिनट का मौन रखना चाहिए। इस पर सभी सदस्य खड़े हो गए।
उधर, उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए राम निवास गोयल ने कहा कि शर्म कि बात है कि बुधवार को 40 फीसदी से ज्यादा सवालों का जवाब नहीं दिया गया। एलजी कहते हैं कि अध्यक्ष को आरक्षित विषयों पर सवाल नहीं करना चाहिए।जिसके बाद विरोध स्वरूप उन्होंने भी काली पट्टी मंगाकर बांध ली। वहीं, ओ पी शर्मा ने कहा कि विरोध करना सरकार व विधायकों का काम है। अध्यक्ष को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अगर उपराज्यपाल का संवाद सरकार तक सीमित रहता तो वह विरोध नहीं करते।
अधिकारियों को जवाब देना चाहिए
यहां सीधे सीधे उन्हें कहा जा रहा है कि वह कौन सा सवाल लें और कौन सा नहीं। ऐसे में उन्हें विरोध के लिए उतरना पड़ा है। विधान सभा अध्यक्ष पूरे दिन काली पट्टी बांधे रहे।
नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता, भाजपा विधायक ओ पी शर्मा व एमएस सिरसा ने अध्यक्ष से अपील की कि वह ऐसा कदम न उठाएं। एमएस सिरसा ने कहा कि इस मसले पर विपक्ष उनके साथ है।अधिकारियों को जवाब देना चाहिए। यहां किसी मोहल्ले की सरकार की नहीं बैठी है। सदन का हक है कि वह सवाल करें। लेकिन अध्यक्ष के पद के साथ बड़ी मर्यादा जुड़ी है। आप पूरे सदन के प्रतिनिधि हैं। पद के साथ संविधान की परंपरा जुड़ी है। अध्यक्ष को काली पट्टी बांधकर नहीं बैैठना चाहिए।