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दिल्ली हिंसा मामले में राज्यसभा में हंगामा

नयी दिल्ली : दिल्ली हिंसा को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी हंगामा करते हुए सरकार पर ‘सोये रहने’ का आरोप लगाया जिसके कारण सदन की कार्रवाई दो बजे तक स्थगित कर दी गयी। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए जरुरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और कहा कि दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में चल रहे हालात पर कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं और इस मुद्दे पर चर्चा भी बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि लेकिन चर्चा से पहले हालात सामान्य होने चाहिए। सभी दलों और सदस्यों को हालात सामान्य बनाने में सहयोग करना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि नोटिसों पर सदन के नेता और सदन में विपक्ष के नेता के साथ विचार विमर्श करने के बाद चर्चा करने का समय तय किया जाएगा। इसपर विपक्ष के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गये और शोर शराबा करने लगे। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘तीन दिन तक सरकार सोई’ रही। इस पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं है। कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय जोर जोर से बोलने लगे जो सुना नहीं जा सका।
इसके बाद आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और पार्टी के दो अन्य सदस्य सभापति के आसन की ओर बढ़ने और कांग्रेस तथा विपक्ष के अन्य सदस्यों ने उनका साथ देना शुरु कर दिया। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री और पार्टी के दो अन्य सदस्यों ने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली और अपने सीटों पर मौन खड़े गये। सभापति ने कहा कि आसन को काली पट्टी नहीं दिखायी जा सकती। इस बीच विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिये। सभापति ने बार बार सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।

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