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दिल्ली-NCR में बारिश के समय अक्सर गिर जाती हैं पुरानी बहुमंजिला इमारतें

नई दिल्ली । हर साल बारिश के बाद शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें गिर जाती हैं। इनमें कुछ तो बहुत पुरानी होती है जबकि कुछ निर्माणाधीन होती है। इस तरह के हादसे में कई लोगों को अपनी जान तक गवांनी पड़ती है। ताजा मामला दक्षिण मुंबई के डोंगरी इलाके का है जहां पर मंगलवार को सौ साल पुरानी चार मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई। इन हादसों से देखकर दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों को भी चिंता हो रही है कि वे कितने सुरक्षित हैं।

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब भी दिल्ली-एनसीआर में मूसलाधार बारिश होती है तो यहां भी मुंबई के डोंगरी इलाके की बिल्डिंग की तरह घटनाएं होती हैं। हर साल हादसों के बाद प्रशासन और सरकार से जुड़े नेता हादसों पर शोक जता देते हैं और फिर भरोसा देते हैं कि सरकार या प्रशासन इस तरह के हादसे रोकने के लिए कड़ा कदम उठा रही है। हादसों के बाद बिल्डर या मकान मालिक पर केस दर्ज हो जाता है और फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि पहले के हादसों से प्रशासन ने क्या कोई सबक लिया है। क्या रहने वाले लोग अपनी सुरक्षा को ध्यान में रहकर पुरानी बिल्डिंगों से दूर कहीं और रह रहे हैं। नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर लोग कम किराया होने की वजह से पुरानी इमारतों में रह रहे हैं। कई परिवार ऐसे हैं जिनका अपना खुद का मकान है और कोई विकल्प न होने की वजह से वे जर्जर मकानों में रहने पर मजबूर हैं।

अवैध जगहों पर बनाई गई हैं कई इमारतें

दिल्ली-एनसीआर में ऐसी कई इमारते हैं जहां पर अवैध रूप से इमारतें बनाई गई हैं और वे काफी पुरानी हैं। ये इमारतें अधिकतक जर्जर हो चुकी होती हैं। ग्रेटर नोएडार के शाहबेरी गांव और गाजियाबाद के अर्थला झील की जमीन पर बनीं अवैध इमारतें हैं जिनको ध्वस्त करनी की कानूनी प्रक्रिया आज भी जारी है।

17 जुलाई 2018 को गिरी थी शाहबेरी गांव में छह मंजिला इमारत

आज के ही दिन यानी 17 जुलाई 2018 को दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में छह मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई थी। इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इसी गांव में एक अन्य मकान झुक गया था। इसके बाद पूरी बिल्डिंग को खाली करा दिया गया था। आज भी इस गांव में करीब 20 हजार से अधिक लोग बारिश के दिनों में खौफ में रहते हैं। उन्हें डर सता रहा होता है कि कहीं वे काल के गोद में समा न जाएं। इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां पर अधिकतर इमारतें अवैध बनीं हैं। हादसे से बचने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं किए गए।

गाजियाबाद में गिरी थी पांच मंजिला इमारत

शाहबेरी हादसे के बाद गाजियाबाद के खोड़ा में एक पांच मंजिला इमारत जमींदोज हो गई थी। हालांकि प्रशासन का दावा था कि यह इमारत पहले ही झुक गई थी ऐसे में वहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित हटा लिया गया था। इस हादसे के बाद प्रशासन ने करीब 100 अवैध इमारतों को सील कर दिया था। बताया जाता है कि 15 लाख से अधिक आबादी वाले खोड़ा में कई ऐसी इमारतें हैं जो जर्जर हो चुकी हैं। छोटे-छोटे भूखंडों पर लोग बहुमंजिला इमारतें बनाकर किराये पर दिये हैं।

दिल्ली के ललिता पार्क में इमारत गिरने से 67 लोगों की हुई थी मौत

नवंबर 2010 में दिल्ली के ललिता पार्क में गिरी इमारत के मलबे में दबने से 67 लोगों की मौत हो गई थी और 77 लोग घायल हुए थे। इतने बड़े हादसे की जांच 8 वर्ष चली। 8 वर्ष बाद सिर्फ जूनियर इंजीनियर को दोषी माना गया। सजा के तौर पर इंजीनियर की पेंशन से महज पांच फीसद रकम काटने के आदेश दिए गए थे। क्या यह सजा 67 लोगों की मौत के लिए काफी है।

अशोक विहार और किराड़ी में भी गिरी इमारत

दिल्ली में मनमाने निर्माण की वजह से इमारतों के गिरने और उससे मरने वालों का सिलसिला यूं नहीं रुकता। सितंबर 2018 में दिल्ली के अशोक विहार फेस तीन में तीन मंजिला इमारत गिर गई थी। इस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा किराड़ी में मंजिला इमारत गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। लोगों की शिकायत थी कि अशोक विहार और किराड़ी में बड़े पैमाने पर बहुमंजिला अवैध निर्माण चल रहा है जिसकी वजह से ये हादसे हुए।

इस घटना के बाद दिल्ली में प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। 27 फरवरी 2019 को करोलबाग में चार मंजिला इमारत गिर गई थी। इसके तीन दिन पहले 23 फरवरी को एक अन्य इमारत का एक हिस्सा अचानक भरभरा कर गिर गया था। ये दोनों हादसे इसलिए हुए थे क्योंकि ये बिल्डिंग पुरानी थीं और जर्जर हो गई थीं।

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