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दूसरी पत्नी के बच्चों को नहीं मिल सकता पिता की नौकरी पर हक

INDIA - SEPTEMBER 06: View of the Chennai High Court in Chennai, Tamil Nadu, India ( for the State of the States ) (Photo by Hk Rajashekar/The India Today Group/Getty Images)

एजेंसी/ 

दूसरी पत्नी के या अवैध संतानों को पिता की सरकारी नौकरी पर कोई हक नहीं मिल सकता। मद्रास हाइकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि अवैध संतान अपने पिता की संपति में अधिकार की तरह उनकी नौकरी पर भी दावा नहीं कर सकती। संपति पर अधिकार और अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाना दोनों पूरी तरह अलग अलग मामले हैं इनमें कोई समानता नहीं है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार मद्रास हाइकोर्ट की जज पुष्पा सत्यानारायण ने यह निर्णय एम मुथुराज की याचिका पर सुनाया, जिन्होंने अपने सब इंस्पेक्टर पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर उनकी नौकरी पर दावा ठोंका था। कोर्ट ने कहा सेवा नियमावली में यह साफ लिखा है दूसरी विधवा के बच्चों को पिता की नौकरी पर तब तक अधिकार नहीं मिल सकता जब तक विशेष परिस्थितियों में शासन दूसरी शादी को अनुमति न दे दे। 

कोर्ट ने कहा अनुकंपा के आधार पर नौकरी और संपति में अधिकार दोनों अलग अलग मामले हैं। किसी भी मायने में वह एक जैसे नहीं हो सकते। अनुकंपा नौकरी कोई संपति नहीं है जिसकी वसीयत की जा सके। 

बता दें कि मुथुराज के पिता पी मलियप्पन तमिलनाडु पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे और उन्होंने अपनी अपनी पत्नी सरोजा की छोटी बहन से शदी कर ली थी। क्योंकि उनकी पत्नी को कोई बच्चा नहीं हो सकता था। 8 अप्रैल 2008 में एक दुर्घटना में मलियप्पन की मौत हो गई। 

उनके बेटे मुथुराज के अनुसार उनका पूरा परिवार खुशहाल था और सब एक ही छत के नीचे रहते थे। पिता की मौत के बाद उसकी मौसी (पिता की पहली पत्नी) की ओर से अधिकारियों को एक पत्र लिखा गया जिसमें मुथुराज को नौकरी देने का निवेदन किया गया था। 

नवंबर 2008 को तूतीकोरिन के पुलिस अधीक्षक ने इस निवेदन को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया क्योंकि दूसरी शादी से होने वाले बच्चे को अनुकंपा से नौकरी का लाभ नहीं दिया जा सकता था। पुलिस महानिदेशक द्वारा भी इसे सही ठहराया गया। 

जिसके बाद मुथुराज ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पुष्पा सत्यानारायण ने याचिका खारिज करते हुए कहा, कोर्ट की राय में अवैध संतानों को संपति के मामले में तो बराबरी का हक दे दिया गया है लेकिन अनुकंपा के आधार पर नौकरी के मामले में इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। 

क्योंकि कानून के अनुसार हिंदुओं में एक बार किए जाने वाले विवाह को ही मान्यता है। कोर्ट ने कहा यह नियम पूरी तरह कसौटी पर परखा हुआ है और अभी इसे किसी ने चुनौती नहीं दी है। यह शासन द्वारा स्‍थापित नीति है। जज ने कहा जब दूसरी शादी ही निषिद्ध है तो उससे होने वाली दूसरी संतान को नौकरी के मामले में मान्यता कैसे दी जा सकती है।

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