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देश में अभी भी ६० करोड़ लोगों के बैंक खाते नहीं

rupeeऑॅल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने खुलासा किया कि देश में अभी भी ६० करोड़ लोगों के बैंक खाते नहीं हैं। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की भारी कमी होना है। यूनियन के महासचिव सीएच वैंकट्टाचलम ने पत्रकारों से बातचीत उन्होंने कहा कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से गरीबी ब़ढी है। उन्होंने कहा कि अब ज्यादातर नौकरियां कच्ची व आउट सोर्सिंग के जरिए लग रही हैं जिसकी वजह से युवा पीढ़ी का भविष्य दांव पर लग गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की करीब ६ लाख नौकरियों को रद्द कर दिया गया है और मौजूदा कर्मचारियों की छटनी का सिलसिला भी जारी है। उन्होंने कहा कि देश में करीब २० करोड़ महिलाएं असंगठित सेक्टर में कार्यरत हैं, जिन्हें बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं हैं। ट्रेड यूनियन नेता ने कहा कि अब रिजर्व बैंक ऑॅफ इंडिया व केन्द्र सरकार प्राइवेट बैंकों को प्रोत्साहन दे रही है। अभी हाल में बड़े औद्योगिक घरानों को बैंकों के लाइसेंस जारी किए गए हैं। इससे बैंकों के हितों पर कुठाराघात होगा। ट्रेड यूनियन नेता ने कहा कि बैंक कर्मियों के संशोधित वेतनमान की मांग लंबे अर्से से अटकी पड़ी है। इसके अलावा बैंकों की अन्य लंबित मांगों को लेकर करीब एक दर्जन ट्रेड यूनियन १२ दिसम्बर को संसद के सामने प्रदर्शन करेंगी। इस मौके पर ट्रेड यूनियन नेता एनपी मुंजाल, एसके गौतम व आरके गुलाटी भी मौजूद थे।

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