उत्तराखंडराज्य

देहरादून : छोटी सी उम्र में शहीद हुआ बेटा, नौकरी के लिए आज भी तरस रहे परिजन

सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने का सपना देखने वाले देहरादून के प्रवीन कुमार थापा (22) छोटी उम्र में देश के लिए शहीद हो गए थे। ऐसे ही न जाने कितने वीरों ने देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया, जिनकी वजह से आज हम सुरक्षित हैं। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवान प्रवीन कुमार थापा के शहीद होने के बाद सरकार द्वारा की गई घोषणाएं पूरी न होने से उनके परिजन दुखी हैं। परिजनों को पेट्रोल पंप, जमीन और न ही छोटे भाई को कोई नौकरी मिली। जबकि शहीद प्रवीन के भाई नवीन थापा चाय की दुकान से अपनी गुजर बसर कर रहे हैं।

शहर से सात किलोमीटर दूर ग्राम गलज्वाडी, छाड़ीवाली निवासी प्रवीन के शहीद होने के बाद कुछ दिनों तक कैंडल मार्च, शोकसभा आदि का आयोजन तो किया गया, लेकिन समय बीतने के साथ ही सरकार की घोषणाएं भी पूरी नहीं हो सकी हैं।

नौकरी, पेट्रोल पंप और जमीन के इंतजार में परिजनों की आंखें पथरा गईं। शहीद के भाई नवीन थापा ने बताया कि सरकार की ओर से पेट्रोल पंप, जमीन और नौकरी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन सालों बाद भी कुछ नहीं मिल पाया है। इस संबंध में उन्होंने कई बार स्थानीय विधायक से भी बात की लेकिन कुछ नहीं हो सका। प्रवीन के छोटे भाई विनोद भी सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं।

सेना में सेवाएं देकर सेवानिवृत्त हो चुके हैं छोटे भाई विनोद
प्रवीन कुमार थापा की शहादत के बाद छोटे भाई विनोद कुमार थापा को सेना में भर्ती होने पर अक्सर परिजन मना करते थे लेकिन बचपन से सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का सपना देखने वाले विनोद सेना में भर्ती हो गए। विनोद सिपाही के पद से बीते साल सेवानिवृत्त भी हो गए।

चार साल ही करा पाए शहीद के नाम पर टूर्नामेंट
शहीद प्रवीन कुमार थापा के भाई नवीन थापा उनकी स्मृति पर चार साल ही फुटबॉल टूर्नामेंट करा पाए। नवीन ने बताया कि चार साल स्थानीय लोगों के सहयोग से शहीद प्रवीन की स्मृति पर फुटबॉल टूर्नामेंट कराया गया, लेकिन पांचवें साल आर्थिक तंगी के चलते टूर्नामेंट नहीं कराया जा सका। इसके बाद से टूर्नामेंट ही नहीं हो पाए। उन्होंने बताया कि प्रवीन बहुत अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे। राज्य स्तर पर उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते थे।

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