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दो हजार करोड़ रुपये के बजट में ’20 रुपये में सरकार कैसे देगी मोदीकेयर का आम जनता को लाभ

दो हजार करोड़ रुपये बजट के साथ 15 अगस्त से शुरू होने वाली केंद्र सरकार की बहुप्रतिक्षित स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत (मोदीकेयर) को एक नामचीन अर्थशास्त्री ने जुमला करार किया है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर व नोबेल अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के सहयोगी ज्यां द्रेज ने कहा कि सरकार ने अपनी इस योजना के लिए दो हजार करोड़ रुपये का बजट 50 करोड़ लोगों के लिए रखा है। अगर इसकी गणना की जाए तो फिर प्रत्येक व्यक्ति को केवल 20 रुपये का बीमा कवर मिलेगा, जो कि नाकाफी साबित होगा।दो हजार करोड़ रुपये के बजट में '20 रुपये में सरकार कैसे देगी मोदीकेयर का आम जनता को लाभ

उन्होंने कहा, सरकार को आर्थिक वृद्धि की सनक से बाहर निकलना चाहिए और विकास क्या है इसको लेकर व्यापक नजरिया अपनाना चाहिए। आर्थिक वृद्धि जीवन स्तर में सुधार के तौर पर विकास में निश्चित रूप से योगदान दे सकती है पर यह अपने आप में दूरगामी नहीं हो सकती है।

बेल्जियम में पैदा हुए और अब भारतीय नागरिक द्रेज ने कहा कि विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सामाजिक सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, सार्वजनिक परिवहन आदि क्षेत्रों में विस्तृत कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार इनमें से कई जिम्मेदारियों को पीछे छोड़ रही है और उन्हें किसी न किसी रूप में औद्योगिक घरानों या फिर राज्य सरकारों के भरोसे छोड़ दे रही है।’’

प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि भारत ने सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के बावजूद 2014 से गलत दिशा में लम्बी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि पीछे जाने के कारण देश इस क्षेत्र में दूसरा सबसे खराब देश है। सेन ने कहा, चीजें बहुत बुरी तरह खराब हुई हैं। 2014 से इसने गलत दिशा में छलांग लगाई है। हम तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में पीछे की तरफ जा रहे हैं।
निजी अस्पतालों को होगी मुश्किल

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) की आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण को लिखी चिट्ठी में कहा है, “कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि दरों को तय करने में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं अपनाया गया है। इन परिस्थितियों में, आप कृपया कर इस बात की सराहना कर सकते हैं कि, जब तक कि दरें उचित और वैज्ञानिक रूप से तय नहीं हो जाती तब तक निजी अस्पतालों के लिए गुणवत्ता भरी स्वास्थ्य सेवाएं देना संभव नहीं है।”

ये हैं सीजीएचएस और आयुष्मान भारत की दरों में अंतर
हालांकि स्वास्थ्य उद्योग के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने बताया है कि सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि जहां कीमतें बहुत कम हैं वहां कुछ दरों में संशोधन की गुंजाइश है । एक अधिकारी ने कहा कि स्टेंट और उसे लगाने की कीमतों पर पुनर्विचार किया जा रहा है। हालांकि भूषण ने कहा कि किसी भी संशोधन के लिए कंपनियां का अभी तक कोई मजबूत पक्ष नहीं है।

स्वास्थ्य आयोग के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना के अंतर्गत इलाज के लिए 1,354 पैकेजों की दरों को तय कर दिया है। मोदी केयर के नाम से लोकप्रिय की इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ ‘वंचित’ परिवारों के 50 करोड़ लोगों को सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने का लक्ष्य रखा गया है।

पैकेज सामान्य रेट (रुपये) सीजीएचएस आयुष्मान भारत (पहले) आयुष्मान भारत (अब)
एंजियोप्लास्टि 90 हजार 90 हजार 40 हजार 65 हजार
सीएबीजी 2 लाख 1.10 लाख 1.10 लाख 1.10 लाख
नी रिप्लेसमेंट 2 लाख 1.50 लाख 90 हजार 80 हजार
स्पाइन सर्जरी 1 लाख 24 हजार 20 हजार 40 हजार
सर्वाइकल सर्जरी 1.25 लाख 25 हजार 20 हजार 40 हजार
न्यूरो सर्जरी 1.10 लाख 23 हजार 20 हजार 30 हजार
ट्यूमर सर्जरी 2.50 लाख 5 हजार 35 हजार 50 हजार
आर्टरी सर्जरी 3.50 लाख 59 हजार 42 हजार 65 हजार

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