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निकाह हलाला के लिए ससुर से करवाई शादी, विरोध करने पर महिला को मिल रही है जान से मारने की धमकी


बरेली : एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट इस्लामिक प्रथा ‘निकाह हलाला’ पर सुनवाई कर रहा है तो वहीं अब इस प्रथा के विरोध में एक के बाद एक कई मुस्लिम महिलाएं सामने आ रही हैं। इसी कड़ी में एक और मुस्लिम महिला सामने आई है, जिसने मुस्लिम समाज के शर्मनाक निकाह हलाला प्रथा की आपबीती सुनाई है। शबीना नाम की इस महिला ने बताया है कि पहले उसे उसके पहले पति ने तीन तलाक दिया, फिर निकाह हलाला की प्रथा को पूरा करने के लिए उसके अपने ही ससुर के साथ निकाह करवा दिया गया। ससुर से तलाक दिलवाकर फिर पहले पति से निकाह करवाया गया, इतना सबकुछ होने के बाद भी शबीना की जिंंदगी नहीं बदली। पहले पति से एक बार फिर तलाक दिलवाकर उसका निकाह देवर के साथ करवाने को मजबूर किया गया, लेकिन निकाह होता उसके पहले ही शबीना ने इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठा दी। बरेली में रहने वाली शबीना का आरोप है कि जब उसने इस प्रथा का विरोध किया तो उसे समाज से बाहर कर देने की धमकी दी गई, इतना ही नहीं उसे जान से मारने की धमकी भी मिलने लगी। शबीना ने बताया कि निकाह हलाला की प्रथा के मुताबिक सबसे पहले उसके पति ने उसे तीन तलाक दिया। इसके बाद उस पर अपने ससुर के साथ शादी करने का दबाव बनाया गया।

सिर्फ निकाह हलाला की प्रथा को पूरा करने के लिए शबीना का निकाह उसके ससुर के साथ कर दिया गया। ससुर के तलाक देने के बाद उसे अपने पहले पति से दोबारा शादी करनी पड़ी। ये सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, अपने पहले पति से दोबारा शादी करने के बाद उसे फिर से तलाक दिया गया और इस बार उसे अपने देवर के साथ निकाह करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इस बार शबीना ने इस प्रथा के खिलाफ अवाज उठाई और निदा खान से मिली। निदा खान वहीं महिला थीं जो पहले से तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थीं। इसके बाद दोनों को जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं, जिसके बाद उन्होंने एक लोकल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई। बरेली के एसपी अभिनंदन सिंह ने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। उधर बरेली के शेखर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम का कहना है कि कुछ लोग मीडिया की नजरों में आने के लिए निकाह हालाला और शरियत का विरोध कर रहे हैं। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने भी ‘निकाह हलाला’ का समर्थन किया था। साथ ही बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया था कि प्रथा कुरान सम्मत है और इसको चुनौती नहीं दी जा सकती। गौरतलब है कि निकाह हलाला को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई 20 को है।

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