उत्तर प्रदेशलखनऊ

न्यायाधीशों ने लिया भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य हेतु एक ‘नई विश्व व्यवस्था’ का संकल्प

सीएमएस में ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का चौथा दिन  

लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड ऑडिटोरियम मेंआयोजित हो रहे ‘18वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ के सोमवार को चौथे दिन का उद्घाटन मुख्य अतिथि बृजेपाठक, मंत्री, वैधानिक, न्याय, पारम्परिक ऊर्जा स्रोत व राजनीतिक पेंशन, उत्तर प्रदेष ने किया जबकि समारोह की अध्यक्षता तुवालू के गर्वनर जनरल सरइया कोबाटी इटालेली ने की। अपने उद्घाटन भाषण में बोलते हुए मुख्य अतिथि बृजेश पाठक, ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से प्रेरित यह सम्मेलन अवश्य ही दुनिया के लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए एकता और शांति के प्रति गम्भीरता से सोचने पर मजबूर कर देगा। कई देशों से पधारे न्यायाधीशों को एक साथ मिलकर विश्व में शान्ति एवं एकता के लिए प्रयास करने की आवष्यकता है। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे दिन विभिन्न देशों से पधारेन्यायविदों, कानूनविदों व अन्य प्रख्यात हस्तियों ने एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में तुवालू के गर्वनर जनरल सरइया कोबाटी इटालेली ने कहा कि हमें बच्चों के विचार का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वे हमारा भविष्य हैं क्योंकि न्याय के बिना शान्ति व्यवस्था कायम नहीं हो सकती।
इस अवसर पर विभिन्न देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने संबोधन में एक स्वरसे कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। परिचर्चा का शुभारम्भ करते हुए ट्यूनीषिया के कोर्ट ऑफ कासेषन के फर्स्ट प्रेसीडेन्ट, माननीय न्यायमूर्ति अब्देसलाम मेंहदी ग्रीसिया ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य पूरेविश्व के बच्चों की भलाई है जिसका सशक्त माध्यम विश्व सरकार ही है। जब तक मानव अधिकारों का सम्मान नहीं होगा, तब तक विश्व में शान्ति नहीं आ सकती है। इक्वाडोर के कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट की वाईस प्रेसीडेन्ट तथा न्यायाधीष, न्यायामूर्ति पामेला मारिया मार्टिनेज ने कहा कि अधिकार का प्रयोग न्याय के लिए ही होना चाहिए। कुछ चीजें मैं कर सकती हूं आप नहीं, कुछ चीजें आप कर सकते हैं मैं नहीं। साथ मिलकर हम शायद सबकुछ कर सकते हैं। इस अवसर पर मंगोलिया के उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज़ोलज़ाया पुन्साग, पैरागुए के सुप्रीमकोर्ट आफ जस्टिस की न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमिल्का रोसियो गोन्जालेजमोरेल, अर्मेनिया के कान्स्टीट्यूशनल की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्वीनाग्यू लूम्यान एवं फिलीपीन्स के बेन्गुएलस्टेट यूनीवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो0 फेलिसिया नोजेआर ने कहा कि मानव जीवन में बदलाव लाने का विचार बच्चों के मस्तिष्क में ही पहले आता है। मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के जनरल सेक्रेटरी रतन चन्द्रगुप्ता ने कहा कि न्याय के बिना विकास सम्भव नहीं है और विकास के बिना शान्ति सम्भव नहीं है।
सोमवार को अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों के समक्ष मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गांधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आमराय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।
   डा. गाँधी ने आगे कहा कि यह अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन अपने आप में बहुत वृहद उद्देश्य समेटे हुए है जो हमारे खुद के आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से सम्बन्धित है। हमे हर हाल में बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य हेतु प्रयास करना होगा क्योंकि आज का बच्चा ही कल की पीढी का जनक है। यही हमारे भविष्य की आशा है। डा. गाँधी ने कहा कि बच्चे कोर्ट में तो नहीं जा सकते किन्तु सी.एम.एस. के 55000 छात्रों की पुकार पर सारे विश्व के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश बच्चों की बात सुनने यहाँ पधारे हैं, जो कि समस्त लखनऊ वासियों के लिए गौरव की बात है। उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि विश्व में शांति एवं एकता एक दिन अवश्य ही स्थापित होगी क्योंकि बच्चे बड़ों से शांति की उम्मीद कर रहे हैं। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरिओम शर्मा ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज अपनी पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न हो रहा है तथापि दुनियाभर के न्यायविदों एवं कानूनविदों द्वारा लगातार चार दिनों तक चले गहन चिंतन-मनन व मंथनका निष्कर्ष 14 नवम्बर, मंगलवार को अपरान्हः 1.00 बजे होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ‘‘लखनऊ घोषणापत्र’’ के रूपमें जारी किया जायेगा।

 

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