अद्धयात्म

पंचांगः चाहते हैं सफलता तो गुरुवार को करें ये काम

ganesh-14490527893 दिसम्बर 2015 को गुरुवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: दक्षिण, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: सफर-20, ऋतु: हेमन्त, मास: मार्गशीर्ष, पक्ष: कृष्ण है। शुभ तिथि: अष्टमी जया संज्ञक तिथि अर्द्घरात्रि के बाद 2.24 तक, तदन्तर नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। अष्टमी तिथि में यथा आवश्यक लेखन, नृत्य-गीत-संगीत, अभिनय, रत्न, अलंकार, युद्ध, शस्त्रधारण, वास्तुकर्म, चित्रकारी, रत्नपरीक्षण, प्रतिष्ठा, विवाह व वधूप्रवेश आदि के कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। नवमी तिथि में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं।

अष्टमी तिथि में जन्मा जातक धर्मात्मा, दानी, सत्यप्रिय, धनवान, पराक्रमी और कामलोलुप होता है। नक्षत्र: सम्पूर्ण दिवारात्रि पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में यथाआवश्यक बन्धन, साहसिक व कठिन कार्य, क्रूर व कपटता के कार्य, चित्र व कारीगरी सम्बन्धी कार्य, शिक्षा, जनेऊ, विद्यादि कार्य सिद्ध होते हैं। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्मा जातक शत्रुजयी, होशियार, प्रत्येक कार्य में निपुण, मृदुभाषी, प्रसन्नचित्त, विद्यावान, राज-समाज में मान-सम्मान पाने वाला तथा काव्य-नृत्य व संगीत प्रेमी होता है। इनका भाग्योदय लगभग 28 से 32 वर्ष की आयु के मध्य होता है।

योग: विष्कुंभ नामक नैसर्गिक अशुभ योग सम्पूर्ण दिवारात्रि रहेगा। विष्कुंभ नामक योग की प्रथम तीन घटी शुभकार्यारम्भ में त्याग देना हितकर है। करण: बालव नाम करण दोपहर बाद 1.11 तक, तदन्तर कौलवादि करण रहेंगे। चंद्रमा: सम्पूर्ण दिवा रात्रि सिंह राशि में रहेगा। परिवर्तन: सूर्यदेव पूर्वाह्न 11.46 पर ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। व्रतोत्सव: कल कालाष्टमी, श्री काल भैरवाष्टमी, मेला जयगढ़, प्रथमाष्टमी (उड़ीसा) तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जन्म दिवस है।

शुभकार्यारम्भ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं। वारकृत्य कार्य: गुरुवार को सामान्यत: समस्त धार्मिक व मांगलिक कार्य, पौष्टिक, यज्ञ, हवन, विद्याध्ययन, मंगलोत्सव, सोना सम्बन्धी कार्य, मणि, रत्न, वस्त्राभूषण, यात्रा, रथ, घोड़ा, गाड़ी, कार, मोटर, वायुयान आदि सवारी सम्बन्धी कार्य, औषध, आभूषण निर्माण व प्रयोग आदि विषयक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल: गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ दही खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर सकते हैं। चन्द्र स्थिति के अनुसार पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।  

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